‘Allah has bestowed Pakistani Muslims the honour to destroy India and Kaffirs’.

Root-Cause of Repeated Attack of Pakistan on India Exposed… Allah has bestowed Muslims the honour to destroy India and kill Hindu Kaffirs: Pakistani Islamic cleric​. HENB | New Delhi | January 3, 2015:: Renowned Pakistan root and migrated Canadian columnist, author, talk-show-host and Islamic analyst Tarek Fateh on Sunday shared a video of a prominent Islamic cleric and former banker […]

http://hinduexistence.org/2016/01/04/allah-has-bestowed-pakistani-muslims-the-honour-to-destroy-india-and-kaffirs/

The anti-national agenda of foreign-funded NGOs – Rakesh Krishnan Simha

“Does India need NGOs at all? Think about it: NGOs have been working for over a hundred years yet have barely made a dent in poverty in Africa. On the other hand, hard work, private enterprise and investment in roads and industry have transformed the economies of once poor countries such as Malaysia, South Korea, […]

https://bharatabharati.wordpress.com/2016/01/04/the-anti-national-agenda-of-foreign-funded-ngos-rakesh-krishnan-simha/

UK BBC Poll: 45% of Muslims support hate preachers, 11% support jihad against the West

Originally posted on Muslim Statistics:This ComRes poll for the BBC found that -11% of Muslims in Britain feel sympathetic towards people who want to fight against western interests -45% disagreed that Muslim clerics who preached that violence against the west can be justified were out of touch with mainstream Muslim opinion. 24% disagreed that…

https://themuslimissue.wordpress.com/2016/01/04/uk-bbc-poll-45-of-muslims-support-hate-preachers-11-support-jihad-against-the-west/

German police hunt for 1,000 men of ‘Arab origin’ for rapes, thefts, brawls who threw fireworks into Cologne train station

REVEALED: 1,000+ Migrants Brawl, Rape, Sexually Assault, And Steal At ONE German Train Station On New Year’s Eve by Oliver Lane, 4 Jan 2016 Breitbart Just five arrests have been made by German police after central Cologne was transformed into a war-zone on New Year’s Eve, as an estimated 1,000 migrants celebrated by launching […]

https://themuslimissue.wordpress.com/2016/01/04/german-police-hunt-for-group-of-up-to-1000-men-of-arab-and-north-african-origin-who-sexually-assaulted-numerous-women-and-threw-fireworks-into-crowds-at-cologne-train-station-on-new-years-eve/

~ Copying Consumerism: China Opens World’s Largest Commercial Building

In china, building BIG is sign of Success!!…Chengdu, 4th largest city in China with population of 40 millions (4 Crores), now has world’s commercial building “New Century Global Centre” , size of 329 football fields, can accommodates 20 Sydney Opera buildings inside! Size of this Mall is 1.9 million sq meters or more than 20 […]

https://globindian.wordpress.com/2015/12/17/copying-consumerism-china-opens-worlds-largest-commercial-building/

~ 10 Habits of Highly Successful Indian Liberal Intellectuals!

Interesting sarcastic stuff to understand Indian so called (pseudo) “Intellectuals” in Media, History & Literatures 🙂 Kindly Note…Western Abrahmic concept of Left Wing Vs Right Wing society division don’t necessarily apply in India… Indian Left “Intellectuals” = Pro-Right Wing of West i.e. they are Anti-Hindu majority and anti-Indian Unity! This is why people rejected them! […]

https://globindian.wordpress.com/2015/12/04/10-habits-of-highly-successful-indian-liberal-intellectuals/

~ Happy Gregorian New Year : Comparing East Vs West Celebrations

Wish You & Family a very Happy New Year 2016…. 1st January is a start of Eurocentric Abrahmic Gregorian  New Calender Year…which is generally used in International Trade to avoid confusion. However, many countries still follow their own ancient Calendar in daily life, like in India (for Festivals, Maths, Astronomy, Marriages, Rituals, etc). On the […]

https://globindian.wordpress.com/2016/01/01/happy-gregorian-new-year/

~ Decolonizing misconceptions about Khajurao Temple, KamaSutra & Hinduism

How to Save 95% of Body & Mind Energy in life??…Every individual generally spends 90-95% of energy on thinking only about Money & Bodily Pleasures…which is a major cause of sufferings/problems in today’s world. Sadguru Jaggi Vasudev, founder ISHA foundation in  India, a spiritual organization, sharing great Ancient Hindu Wisdom to Save you energy and […]

https://globindian.wordpress.com/2015/12/26/decolonizing-misconceptions-about-khajurao-temple-kamasutra-hinduism/

Bramhpuran

brmhapuran|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||
ब्रह्मपुराण
अध्याय – १२
ग्रहों तथा भुव: आदि लोकों की स्थिति, श्रीविष्णुशक्ति का प्रभाव तथा शिशुमारचक्र का वर्णन
मुनियों ने कहा – महाभाग लोमहर्षणजी ! अब हम भुव: आदि लोकों का , ग्रहों की स्थिति का तथा उनके परिमाण का यथार्थ वर्णन सुनना चाहते हैं | आप कृपापूर्वक बतलायें |
लोमहर्षणजी बोले – सूर्य और चन्द्रमा की किरणों से समुद्र, नदी और पर्वतोंसहित जितने भाग में प्रकाश फैलता हैं, उतने भाग को पृथ्वी कहते हैं | पृथ्वी विस्तृत होने के साथ ही गोलाकार हैं | पृथ्वी से एक लाख योजन ऊपर सूर्यमंडल की स्थिति हैं और सूर्यमंडल से लाख योजन दूर चन्द्र्मंद्ल स्थित है | चंद्रमंडल से लाख योजन ऊपर सम्पूर्ण नक्षत्रमंडल प्रकाशित होता है | नक्षत्रमंडल से दो लाख योजन ऊँचे बुध की स्थिति है | बुध से दो लाख योजन शुक्र स्थित हैं | शुक्र से दो लाख योजन मंगल, तथा मंगल से दो लाख योजन ऊँचे देवगुरु बृहस्पति स्थित हैं | बृहस्पति से दो लाख योजन ऊपर शनैश्चर हैं और उनसे एक लाख योजन ऊँचे सप्तर्षिमंडल स्थित हैं | सप्तर्षियों से लाख योजन ऊपर ध्रुव हैं, जो समस्त ज्योतिर्मडल के केंद्र हैं | ध्रुव से ऊपर महर्लोक हैं, जहाँ एक कल्पतक जीवित रहनेवाले महात्मा पुरुष निवास करते हैं | उसका विस्तार एक करोड़ योजन हैं | उसके ऊपर जनलोक हैं, जिसका विस्तार दो करोड़ योजन है | वहीँ शुद्ध अंत:करणवाले ब्रह्मकुमार सनंदन आदि महात्मा वास करते हैं | जनलोक से ऊपर उससे चौगुने विस्तारवाला तपोलोक स्थित हैं, जहाँ शरीररहित वैराज आदि देवता रहते हैं | तपोलोक से ऊपर सत्यलोक प्रकाशित होता है, जो उससे छ: गुना बड़ा हैं | वहाँ सिद्ध आदि एवं मुनिजन निवास करते है | वह पुनर्जन्म एवं पुनर्मृत्यु का निवारण करनेवाला लोक है | जहाँतक पैरों से जाने योग्य पार्थिव वस्तु हैं, उसे भूलोक कहा गया हैं; उसका विस्तार पहले बताया जा चूका है | भूमि और सूर्य के बीच में जो सिद्ध एवं मुनियों से सेवित प्रदेश हैं, वह भुवर्लोक कहा गया हैं | यही दूसरा लोक हैं | ध्रुव और सूर्य के बीच में जो चौदह लाख योजन विस्तृत स्थान हैं, उसे लोक-स्थिति का विचार करनेवाले पुरुषों ने स्वर्गलोक बतलाया हैं | भू:, भुव: और स्व: – इन्हीं तीनों को त्रैलोक्य कहते हैं | विद्वान् ब्राह्मण इन तीनों लोकों को कृतक (नाशवान) कहते हैं | इसीप्रकार ऊपर के जो जन, तप और सत्य नामक लोक हैं, वे तीनों अकृतक (अविनाशी) कहलाते हैं | कृतक और अकृतक के बीच में महर्लोक हैं, जो कृतकाकृतक कहलाता हैं | यह कल्पांत में जनशून्य हो जाता हैं, किन्तु नष्ट नहीं होता | ब्राम्हणों ! इसप्रकार ये सात महालोक बतलाये गये हैं | पाताल भी सात ही हैं | यही समूचे ब्रम्हाण्ड का विस्तार हैं |
यह ब्रम्हाण्ड ऊपर, नीचे तथा किनारे की ओर से अंडकटाह द्वारा घिरा हुआ है – ठीक उसी तरह, जैसे कैथ का बीज सब ओर छिलके से ढका रहता हैं | उसके बाद समू चे अंडकटाह से दसगुने विस्तारवाले जल के आवरणद्वारा यह ब्रम्हांड आवृत हैं | इसीप्रकार जल का आवरण भी बाहर की ओर से अग्निमय आवरणद्वारा घिरा हुआ है | अग्नि वायु से, वायु आकाश से और आकाश महत्तत्त्व से आवृत है | इसप्रकार ये सातों आवरण उत्तरोत्तर दसगुने बड़े हैं | महत्तत्त्वको आवृत करके प्रधान – प्रकुति स्थित हैं | प्रधान अनंत हैं | उसका अंत नहीं हैं और न उसके माप की कोई संख्या ही है | वह अनंत एवं असंख्यात बताया गया है | वाही सम्पूर्ण जगत का उपादान हैं | उसे ही परा प्रकति कहा गया हैं | उसके भीतर ऐसे-ऐसे कोटि-कोटि ब्रम्हाण्ड स्थित हैं | जैसे लकड़ी में आग और तिल में तेल व्याप्त हैं | ये प्रकुति और पुरुष एक-दुसरे के आश्रित हो भगवान् विष्णु की शक्ति से टिके हुए है | श्रीविष्णु की शक्ति ही प्रकृति और पुरुष के पृथक एव, संयुक्त होने में कारण है | विप्रवरो ! वाही सृष्टि के समय प्रकृति में श्वोभ का कारण होती है | जैसे वायु जल के कणों में रहनेवाली शीतलता को धारण करती हैं, उसी सम्पूर्ण जगत को धारण करती हैं | जैसे प्रथम बीज से मूल, तने और शाखा आदिसहित विशाल वृक्ष उत्पन्न होता हैं, फिर उन बीजों से भी पहले ही-जैसे वृक्ष उत्पन्न होते रहते हैं, उसीप्रकार पहले अव्याकृत प्रकृति से महत्तत्त्व आदि उप्तन्न होते हैं, फिर उनसे देवता आदि प्रकट होते हैं, देवताओं से उनके पुत्र और उन पुत्रों के भी पुत्र होते रहते हैं | जैसे एक वृक्ष से दूसरा वृक्ष उत्पन्न होनेपर पहले वृक्ष की कोई हानि नहीं होती, उसीप्रकार नूतन भूतों की सृष्टि से भूतो का ह्रास नहीं होता | जैसे समीपव्रती होनेमात्र से आकाश और काल आदि भी वृक्ष के कारण हैं, उसीप्रकार भगवान् श्रीहरि स्वयं विकृत न होते हुए ही सम्पूर्ण विश्वके कारण होते हैं | जैसे धान के बीज में जड़, नाल, पत्ते, अंकुर, काण्ड, कोप, फुल, दूध, चावल, भूसी और कन – सभी रहते हैं तथा अंकुरित होने के योग्य कारण सामग्री पाकर प्रकट हो जाते हैं, उसीप्रकार भिन्न-भिन्न कर्मों में देव आदि सभी शरीर स्थित रहते हैं तथा कारणभुत श्रीविष्णुशक्ति का सहारा पाकर प्रकट हो जाते हैं |
वे भगवान् विष्णु परब्रम्ह हैं; उन्हीं से यह सम्पूर्ण जगत उत्पन्न हुआ है, वे ही जगत्स्वरूप है तथा उन्हीं में इस जगत का लय होगा | वे परब्रम्ह और पर धामस्वरूप हैं, सत और असत भी वे ही हैं, वे ही परम पद है | यह सम्पूर्ण चराचर जगत उनसे भिन्न नहीं है | वे ही अव्याकृत मूल प्रकृति और व्याकृत जगत्स्वरुप हैं | यह सब कुछ उन्हों में लय होता और उन्हों के आधारपर स्थित रहता हैं | वे ही क्रियाओं के कर्ता (यजमान) हैं, उन्हींका यज्ञोंद्वारा यजन किया जाता हैं, यज्ञ और उसके फल भी वे ही हैं | युग आदि सब कुछ उन्हींसे प्रवृत्त होता हैं | उन श्रीहरि से भिन्न कुछ भी नहीं हैं |
स च विष्णु: परं ब्रम्ह यत: सर्वमिदं जगत | जगच्च यो यत्र चेदं यस्मिन विलयमेष्यति ||
तद ब्रह्म परमं श्राम सदसत्परमं पदम् | यस्य सर्वमभेदेन जगदेतच्चराचरम ||
स एव मूतप्रकृतिर्व्यक्तरूपी जगच्च स: | तस्मित्रेव लयं सर्वं याति तत्र च तिष्टति ||
कर्ता क्रियाणां स च इज्यते क्रतु: स एव तत्कर्मफलं य तस्य वत | युगादि यस्माच्च भवेदशेपते होर्प किंचिद व्यतिरिक्तमस्ति तत || (२३/४१-४४)
लोमहर्षणजी कहते हैं – आकाश में शिशुमार (गोह) के आकर में जो भगवान् का तारामय स्वरुप हैं, उसके पुच्छभाग में ध्रुव की स्थिति है | ध्रुव स्वयं अपनी परिधिमें भ्रमण करते हुए सूर्य, चन्द्र आदि अन्य ग्रहों को भी घुमाते हैं | ध्रुव के घुमनेपर उनके साथ ही समस्त नक्षत्र चक्र की भाँती घुमने लगते हैं | सूर्य, चन्द्रमा, तारे, नक्षत्र और ग्रह – ये सभी वायुमयी डोरी से ध्रुव में बंधे हुए हैं | शिशुमार के आकर का आकाश में जो तारामय रूप बताया गया हैं, उसके आधार परम धामस्वरुप साक्षात भगवान् नारायण हैं, जो शिशुमार के ह्रदय-देश में स्थित हैं | देवता, असुर और मनुष्योंसहित यह सम्पूर्ण जगत भगवान् नारायण के ही आधारपर टिका हुआ हैं | सूर्य आठ महीनों में अपनी किरणोंद्वारा रसात्मक जल का संग्रह करते हैं और उसे वर्षाकाल में बरसा देते हैं | उस वृष्टि के जल से अन्न पैदा होता है और अन्नसे सम्पूर्ण जगत का भरण – पोषण होता हैं | सूर्य अपनी तीखी किरणों से जगत का जल लेकर उसके द्वारा चन्द्रमा की पुष्टि करते हैं | धूम, अग्नि और वायुरूप मेघो में स्थापित किया हुआ जल अपभ्रष्ट नहीं होता, अतएव मेघों को अभ्र कहते हैं | वायु की प्रेरणा से मेघस्थ जल पृथ्वीपर गिरता हैं | नदी, समुद्र, पृथ्वी तथा प्राणियों के शरीर से निकला हुआ – ये चार प्रकार के जल सूर्य अपनी किरणोंद्वारा ग्रहण करते हैं और उन्हीं को समयपर बरसाते हैं | इसके सिवा वे आकाशगंगा के जल को भी लेकर उसे बादलों में स्थापित किये बिना ही शीघ्र पृथ्वीपर बरसा देते हैं | उस जल का स्पर्श होने से मनुष्य के पाप-पक्क धुल जाते हैं, जिससे वह नरक में नहीं पड़ता | यह दिव्य स्नान माना गया हैं | कृत्तिका आदि विषम नक्षत्रों में सूर्य के दिखायी देते हुए आकाश से जल गिरता है, उसे दिग्गजोंद्वारा फेंका हुआ आकाशगंगा का जल समझना चाहिये | इसीप्रकार भरणी आदि सम संख्यावाले नक्षत्रों में सूर्य के दिखायी देते हुए आकाश से जो जल गिरता हैं, वह भी आकाशगंगा का ही जल हैं, जिसे सूर्य की किरणें तत्काल ले आकर बरसाती हैं | यह दोनों ही प्रकाश का जल अत्यंत पवित्र और मनुष्यों का पाप दूर करनेवाला हैं | आकाशगंगा के जलका स्पर्श दिव्य स्नान हैं | बादलों के द्वारा जो जल की वर्षा होती है, वह प्राणियों के जीवन के लिये सब प्रकार के अन्न आदि की पुष्टि करती हैं | अत: वह जल अमृत माना गया हैं | उसके द्वारा अत्यंत पुष्ट हुई सब प्रकार की ओषधियाँ फलती, पकती एवं प्रजा के उपयोग में आती हैं | उन ओषधियों से शास्त्रदर्शी मनुष्य प्रतिदिन विहित यज्ञों का अनुष्ठान करके देवताओं को तृप्त करते हैं | इसप्रकार यज्ञ, वेद, ब्राम्हण आदि वर्ण, सम्पूर्ण देवता, पशु, भूतगण तथा स्थावर जंगमरूप सम्पूर्ण जगत – ये सब वृष्टि के द्वारा ही धारण किये गये हैं वृष्टि सूर्य के द्वारा होती हैं | सूर्य के आधार ध्रुव, ध्रुव के शिशुमारचक्र तथा शिशुमारचक्र के आश्रय साक्षात भगवान् नारायण हैं | वे शिशुमारचक्र के ह्रदय-देश में स्थित हैं | वे ही सम्पूर्ण भूतों के आदि, पालक तथा सनातन प्रभु हैं | मुनिवरों ! इसप्रकार मैंने पृथ्वी, समुद्र आदि से युक्त ब्रम्हाण्ड का वर्णन किया |
– See more at: http://www.santshriasharamjiashram.org/#sthash.QBP1sq9G.dpuf

Dinosaurs and men existed at same time per new evidence.

  
Historians are still with holding truth about history of human beings and dinosaur but fact per excavations has doomed them same as Columbus (a terrorist) discovered America and vasco de gama(a terrorist) discovered India.

  
http://manwithdinosaurs.blogspot.com/2011/09/did-man-walk-with-dinosaurs.html?m=1

Www.pparihar.com