Ancient India and culture all over world

भारत बहुत प्राचीन देश है। विविधताओं से भरे इस देश में आज बहुत से धर्म, संस्कृतियां और लोग हैं। आज हम जैसा भारत देखते हैं अतीत में भारत ऐसा नहीं था भारत बहुत विशाल देश हुआ करता था। ईरान से इंडोनेशिया तक सारा हिन्दुस्थान ही था। समय के साथ-साथ भारत के टुकड़े होते चले गये जिससे भारत की संस्कृति का अलग-अलग जगहों में बटवारां हो गया। हम आपको उन देशों को नाम बतायेंगे जो कभी भारत के हिस्से थे।
ईरान – ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।

कम्बोडिया – प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्दचीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की।


वियतनाम – वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। दूसरी शताब्दी में स्थापित चम्पा भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां के चम लोगों ने भारतीय धर्म, भाषा, सभ्यता ग्रहण की थी। 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अन्त हुआ।


मलेशिया – प्रथम शताब्दी में साहसी भारतीयों ने मलेशिया पहुंचकर वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित करवाया। कालान्तर में मलेशिया में शैव, वैष्णव तथा बौद्ध धर्म का प्रचलन हो गया। 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो यह सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य बना।


इण्डोनेशिया – इण्डोनिशिया किसी समय में भारत का एक सम्पन्न राज्य था। आज इण्डोनेशिया में बाली द्वीप को छोड़कर शेष सभी द्वीपों पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं। फिर भी हिन्दू देवी-देवताओं से यहां का जनमानस आज भी परंपराओं के माधयम से जुड़ा है।


फिलीपींस – फिलीपींस में किसी समय भारतीय संस्कृति का पूर्ण प्रभाव था पर 15 वीं शताब्दी में मुसलमानों ने आक्रमण कर वहां आधिपत्य जमा लिया। आज भी फिलीपींस में कुछ हिन्दू रीति-रिवाज प्रचलित हैं।


अफगानिस्तान – अफगानिस्तान 350 इ.पू. तक भारत का एक अंग था। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे राजनीतिक और बाद में सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग हो गया।


नेपाल – विश्व का एक मात्र हिन्दू राज्य है, जिसका एकीकरण गोरखा राजा ने 1769 ई. में किया था। पूर्व में यह प्राय: भारतीय राज्यों का ही अंग रहा।


भूटान – प्राचीन काल में भूटान भद्र देश के नाम से जाना जाता था। 8 अगस्त 1949 में भारत-भूटान संधि हुई जिससे स्वतंत्र प्रभुता सम्पन्न भूटान की पहचान बनी।


तिब्बत – तिब्बत का उल्लेख हमारे ग्रन्थों में त्रिविष्टप के नाम से आता है। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार चौथी शताब्दी में शुरू हुआ। तिब्बत प्राचीन भारत के सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र में था। भारतीय शासकों की अदूरदर्शिता के कारण चीन ने 1957 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया।


श्रीलंका – श्रीलंका का प्राचीन नाम ताम्रपर्णी था। श्रीलंका भारत का प्रमुख अंग था। 1505 में पुर्तगाली, 1606 में डच और 1795 में अंग्रेजों ने लंका पर अधिकार किया। 1935 ई. में अंग्रेजों ने लंका को भारत से अलग कर दिया।


म्यांमार (बर्मा) – अराकान की अनुश्रुतियों के अनुसार यहां का प्रथम राजा वाराणसी का एक राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजों का बर्मा पर अधिकार हो गया। 1937 में भारत से इसे अलग कर दिया गया।


पाकिस्तान – 15 अगस्त, 1947 के पहले पाकिस्तान भारत का एक अंग था। हालांकि बटवारे के बाद पाकिस्तान में बहुत से हिन्दू मंदिर तोड़ दिये गये हैं, जो बचे भी हैं उनकी हालत बहुत ही जर्जर है। 


बांग्लादेश – बांग्लादेश भी 15 अगस्त 1947 के पहले भारत का अंग था। देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान के रूप में यह भारत से अलग हो गया। 1971 में यह पाकिस्तान से भी अलग हो गया।

KatyAyani  mother- navdurga 


नवरात्री के षष्ठम दिन कात्यायनी रूप की पूजा
नवरात्री पूजा – छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा विधि
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥
श्री दुर्गा का षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के षष्ठम दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। इनकी आराधना से भक्त का हर काम सरल एवं सुगम होता है। चन्द्रहास नामक तलवार के प्रभाव से जिनका हाथ चमक रहा है, श्रेष्ठ सिंह जिसका वाहन है, ऐसी असुर संहारकारिणी देवी कात्यायनी कल्यान करें।
नवरात्री की छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा
/h3>नवरात्री दुर्गा पूजा छठा तिथि – माता कात्यायनी की पूजा :
माँ दुर्गा के छठे रूप को माँ कात्यायनी के नाम से पूजा जाता है। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। महर्षि कात्यायन ने इनका पालन-पोषण किया तथा महर्षि कात्यायन की पुत्री और उन्हीं के द्वारा सर्वप्रथम पूजे जाने के कारण देवी दुर्गा को कात्यायनी कहा गया। देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है, माँ कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने पर उसे सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है।
माँ कात्यायनी की पूजा विधि
जो साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी अराधना में समर्पित हैं उन्हें दुर्गा पूजा के छठे दिन माँ कात्यायनी जी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर मन को आज्ञा चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए। माँ कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन हैं। इनकी पूजा के पश्चात देवी कात्यायनी जी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है
देवी कात्यायनी के मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता कात्यायनी की ध्यान
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥

स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥
माता कात्यायनी की स्तोत्र पाठ
कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।

सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
देवी कात्यायनी की कवच
कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥
देवी कात्यायनी की कथा
देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ॠषि हुए तथा उनके पुत्र ॠषि कात्य हुए, उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ॠषि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। देवी कात्यायनी जी देवताओं ,ऋषियों के संकटों को दूर करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में उत्पन्न होती हैं। महर्षि कात्यायन जी ने देवी पालन पोषण किया था। जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था और ॠषि कात्यायन ने भगवती जी कि कठिन तपस्या, पूजा की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी कहलायीं। महर्षि कात्यायन जी की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की तथा अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेने के पश्चात शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक कात्यायन ॠषि ने इनकी पूजा की, दशमी को देवी ने महिषासुर का वध किया ओर देवों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त किया।
कात्यायिनी : महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था, इसीलिए वे कात्यायिनी कहलाती है।
सफलता का अचूक मन्त्र
सर्व मंगल माँड़गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नामोस्तुते ।।
उपाय (1) :- जो लोग फिल्म इन्डस्ट्री या ग्लैमर के क्षेत्र से जुड़े हुए है, देशी घी का तिलक देवी माँ को लगाएं । देवी माँ के सामने देशी घी का दीपक जरुर जलाएं | ऐसा करने से फिल्म इन्डस्ट्री या ग्लैमर के क्षेत्र में सफलता तय है ।

उपाय (2):- खेलकूद के क्षेत्र सफलता पाने के लिए देवी माँ को सिन्दूर और शहद मिलाकर तिलक करें । अपनी माँ का आशीर्वाद जरुर ले । दोनों माँ का आशीर्वाद आपको सफलता जरुर दिलाएगा ।

उपाय (3):- राजनीती के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लाल कपड़े में २१ चूड़ी,२ जोड़ी चांदी की बिछिया, ५ गुड़हल के फूल, ४२ लौंग, ७ कपूर और पर्फुम बांधकर देवी के चरणों में अर्पित करें । सफलता जरुर मिलेगी

उपाय (4) :- प्रतियोगिता में सफलता के लिए ७ प्रकार की दालो का चूरा बनाकर चींटियों को खिलाने से सफलता मिलेगी ।

उपाय (5):- हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कुमकुम, लाख,कपूर, सिन्दूर, घी, मिश्री और शहद का पेस्ट तैयार कर लें । इस पेस्ट से देवी माँ को तिलक लगाएं । अपने मस्तक पर भी पेस्ट का टीका लगाएं । आपको जरुर सफलता मिलेगी ।

उपाय (6):- हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए मिटटी को घी और पानी में सानकर ९ गोलिया बना लीजिये । इन गोलियों को छायां में सुखा लीजिये। इन गोलियों को पीले सिन्दूर की कटोरी में भरकर देवी को चढ़ा दीजिये । नवमी दिन इन गोलियों को नदी में जरुर बहा दीजिये और सिन्दूर को संभाल कर रखिये । जरुरी काम से जाते समय हर सिन्दूर का टीका लगाइए सफलता जरुर मिलेगी ।
प्रेम से बोलो जय माता की

बोलिए सच्चे दरबार की जय

सच्ची ज्योता वाली माता तेरी सदा ही जय

जय माता कात्यायनी

Vedic scriptures and culture.


Revealed Vedic scriptures is original knowledge of this world but at present many Indians by believing in Aryan invasion theory, false western theories like Darwin evolution theory which Darwin himself could not prove and still remains challenged, are giving discredit to Vedic Sages. After independence atleast Indians should start believing in their culture & civilization then what western scientists say.

Perhaps Indians are ignorant about Puranic Manvantar history which calculates cyclical time as per 4 Yugas, Mahayugas, Manvantar & Kalpa and which disapproves evolution of humans from Apes which is a western Adamic-Abrahamic concept.

Infact advanced Aryan culture originated from the start of Bramha’s day during स्वयंभुव मनु or मन्वंतर in Northern India known as the land of ब्रम्हावर्त were the Vedic literatures were revealed to the Vedic Sages as is mentioned in Puranic history which are real history and not mythology.

The present 7th विवस्वान मन्वंतर started 120 million years ago and we are living now in 28 महायुग 5110 कलियुग year.

Vedic Aryans were never naked. Man was naked is western concept due to Out of Africa theory or Adamic history popular in West Asia in the dominant religion of Christianity and Islam. Sanatan Vedic Dharma God revealed Vedas to Aryans and God himself descended in various Avatars to protect Dharma from miscreants in various Yugas. So God cannot be created by humans. 

Manu is progenitor of mankind which is संस्कृत word from which english word Man or civilized human or मनुष्य or मानव having evovled mind originated in India known as Caucasoid or Aryan race in India while the Black race people originated in Africa and Mongols originated in East Asia.

Rohingya Muslins and terrorism 

Rohingya Muslim and terrorism.

Voice of world

रोहिंग्या मुस्लिमो ने 28 हिन्दुओ की हत्या कर उन्हें गाड़ा, म्यांमार की सेना ने हिन्दुओ की लाशें निकाली
म्यांमार की सेना ने 28 हिन्दुओं की लाशों को निकाला है

रोहिंग्या मुसलमानो ने इन 28 हिन्दुओ की हत्या करने के बाद, इनके महत्व्यपूर्ण अंग निकाल लिए और इनको गाड़ दिया
म्यांमार की सेना ने इन सभी हिन्दुओ की लाशों को खोदकर निकाला है

पहले बता दें की इस खबर की पुष्टि न्यूज़ एजेंसी ANI ने भी की है, और हमें म्यांमार के एक पत्रकार ने तस्वीरें भी भेजी है
अब आपको दिखाते है हिन्दुओ की लाशें जिसे म्यांमार की सेना ने निकाली है

हिन्दुओ की लाशें 👇👇👇 नीचे
इसी स्थान पर हिन्दुओ की लाशों को गाड़ा गया चित्र न० चार
जिस स्थान पर रोहिंग्या मुसलमानो ने 28 हिन्दुओ की हत्या की वो स्थान है राखिने स्टेट का खामोंग सेक गाँव

यहाँ रोहिंग्यों ने सभी हिन्दुओ की हत्या कर दी और उनके…

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Arab before Muhammad’s terrorism.

इराक का एक पुस्तक है, जिसे इराकी सरकार ने खुद छपवाया था। इस किताब में 622 ई से पहले के अरब जगत का जिक्र है। आपको बता दें कि ईस्लाम धर्म की स्थापना इसी साल हुई थी। किताब में बताया गया है कि मक्का में पहले शिव जी का एक विशाल मंदिर था जिसके अंदर एक शिव लिंग थी जो आज भी मक्का के काबा में एक काले पत्थर के रूप में मौजूद है। पुस्तक में लिखा है कि मंदिर में कविता पाठ और भजन हुआ करता था।प्राचीन अरबी का व्य संग्रह गंथ ‘सेअरूल-ओकुल’के 257वें पृष्ठ पर मोहम्मद से 2300 वर्ष पूर्व एवं ईसा मसीह से 1800 वर्ष पूर्व पैदा हुए लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता में भारत भूमि एवं वेदों को जो सम्मान दिया है, वह इस प्रकार है-“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे। व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन। 

1 वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सहबी अरवे अतुन जिकरा।वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंदतुन।

2।यकूलूनल्लाहः या अहलल अरज आलमीन फुल्लहुम।फत्तेबेऊ जिकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतुन।

3।वहोबा आलमुस्साम वल यजुरमिनल्लाहे तनजीलन।फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअन योवसीरीयोनजातुन।

4।जइसनैन हुमारिक अतर नासेहीन का-अ-खुबातुन।व असनात अलाऊढ़न व होवा मश-ए-रतुन।

5।”अर्थात-(1) हे भारत की पुण्य भूमि (मिनार हिंदे) तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझ को चुना। 

(2) वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश, जो चार प्रकाश स्तम्भों के सदृश्य सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है, यह भारतवर्ष (हिंद तुन) में ऋषियों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ।

(3) और परमात्मा समस्त संसार के मनुष्यों को आज्ञा देता है कि वेद, जो मेरे ज्ञान है, इनके अनुसार आचरण करो।

(4) वह ज्ञान के भण्डार साम और यजुर है, जो ईश्वर ने प्रदान किये। इस लिए, हे मेरे भाइयों! इनकोमानो, क्योंकि ये हमें मोक्ष का मार्ग बताते है।

(5) और दो उनमें से रिक्, अतर (ऋग्वेद, अथर्ववेद) जो हमें भ्रातृत्व की शिक्षा देते है, और जो इनकी शरण में आ गया, वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता।इस्लाम मजहब के प्रवर्तक मोहम्मद स्वयं भी वैदिक परिवार में हिन्दू के रूप में जन्में थे, और जब उन्होंने अपने हिन्दू परिवार की परम्परा और वंश सेसंबंध तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर घोषित करना निश्चित किया, तब संयुक्त हिन्दू परिवार छिन्न-भिन्न हो गया और काबा में स्थित महाकाय शिवलिंग (संगेअस्वद) के रक्षार्थ हुए युद्ध में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम को भी अपने प्राण गंवाने पड़े।उमर-बिन-ए-हश्शामका अरब में एवं केन्द्र काबा (मक्का) में इतना अधिक सम्मान होता था कि सम्पूर्ण अरबी समाज, जो कि भगवान शिव के भक्त थे एवं वेदों केउत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी-देवताओं के अनन्य उपासक थे, उन्हें अबुल हाकम अर्थात ‘ज्ञान का पिता’ कहते थे। बाद में मोहम्मद के नये सम्प्रदाय ने उन्हें ईर्ष्यावश अबुलजिहाल ‘अज्ञान का पिता’ कह कर उनकी निन्दा की।जब मोहम्मद ने मक्का पर आक्रमण किया, उस समय वहाँबृहस्पति, मंगल, अश्विनी कुमार, गरूड़, नृसिंहकी मूर्तियाँ प्रतिष्ठित थी। साथ ही एक मूर्ति वहाँविश्वविजेता महाराजा बलि की भी थी, और दानी होने की प्रसिद्धि से उसका एक हाथ सोने का बना था।‘Holul’ के नाम से अभिहित यह मूर्ति वहां इब्राहम और इस्माइल की मूर्त्तियों के बराबर रखी थी। मोहम्मद ने उन सब मूर्त्तियों को तोड़कर वहां बने कुएं में फेंक दिया, किन्तु तोड़े गये शिवलिंग का एक टुकडा आज भी काबा में सम्मान पूर्वक न केवल प्रतिष्ठित है, वरन् हज करने जाने वाले मुसलमान उस काले (अश्वेत) प्रस्तर खण्ड अर्थात ‘संगे अस्वद’ कोआदर मान देते हुए चूमते है।जबकि इस्लाम में मूर्ति पूजा या अल्लाह के अलावा किसी की भी स्तुति हराम हैप्राचीन अरबों ने सिन्ध को सिन्ध ही कहा तथा भारत वर्ष के अन्य प्रदेशों को हिन्द निश्चित किया। सिन्ध से हिन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञानिक है। इस्लाम मत के प्रवर्तक मोहम्मद के पैदा होने से 2300 वर्ष पूर्व यानि लगभग 1800 ईश्वी पूर्व भी अरब में हिंद एवं हिंदू शब्द का व्यवहार ज्यों कात्यों आज ही के अर्थ में प्रयुक्त होता था।अरब की प्राचीन समृद्ध संस्कृति वैदिक थी तथा उस समय ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, धर्म-संस्कृति आदि में भारत (हिंद) के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध थे। हिंद नाम अरबों को इतना प्यारा लगा कि उन्होंने उस देश के नाम पर अपनी स्त्रियों एवं बच्चों के नाम भी हिंद पर रखे।अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ से अरूल-ओकुल’ के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमनएवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है। ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता नई दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग परश्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर (बिड़लामन्दिर)की वाटिका में यज्ञ शाला के लाल पत्थर के स्तम्भखम्बे) पर काली स्याही से लिखी हुई है, जो इस प्रकार है –” कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक । कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।

1।न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा ।वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू ।

2।व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ ।मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू ।

3।व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन ।व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।

4।मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम ।नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू ।

5।अर्थात् –(1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो। 

(2) यदि अन्त में उसको पश्चाताप हो, और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ?

(3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्चपद को पा सकता है। 

(4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहां पहुंचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है।

(5) वहां की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है।

Evolution of Modern Numerals-Bramhi, India

HINDUISM AND SANATAN DHARMA

The evolution of numerals can be traced from Sarasvati (or Indus) numerals to Brahmi to modern international. Brahmi was used in India over 2000 years ago. What is called “HIndu” in the table refers to the standard Indian numerals after the symbol for zero came to be commonly used. The derivation of Brahmi numerals from the 4500 year old Sarasvati numerals is sketched in the paper by renowned Mr Subhas Kak at Department of Electronics Louisiana Stae University Baton Rouge, LA,

Bramhi

brahmi

It is one of the most influential writing systems; all modern Indian scripts and several hundred scripts found in Southeast and East Asia are derived from Brahmi.

Rather than representing individual consonant (C) and vowel (V) sounds, its basic writing units represent syllables of various kinds (e.g. CV, CCV, CCCV, CVC, VC). Scripts which operate on this basis are normally classified as syllabic, but because the V and…

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Navdurga- in Hindi

Navratri and NavDurga- in Hindi.

HINDUISM AND SANATAN DHARMA

शुप्रभातं मम आत्मिय स्वजनं …..

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,

तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम।।

पंचम स्कन्दमा‍तेति षष्ठमं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौ‍र‍ीति चाष्टम।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
१:- देवी दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। वृषभ-स्थिता इन माताजी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम ‘सती’ था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था।
ध्यान:- वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥ पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा…

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Naked Mughals, terrorism, harem

Aurangzeb had 1000 sex-slaves in his harem. (Akbar had 5000, and Jahangir 6000. That means Aurangzeb was six times less pervert!). Almost all of them were Hindu women. They were either kidnapped or purchased or swapped or forced into prostitution.

ISIS and Sharia loving fanatic Muslims are glorifying the same legacy – exploit unlimited non-Muslim women in the night and serve the cause of Allah, then wake up at 4 am for prayers and again serve the cause of Allah! Meanwhile, follow the divine order of having only four official Muslim wives to yet again serve the cause of Allah! So that 72 virgins are allotted in Heaven as rewards for serving the cause of Allah!

Scientists like APJ Abdul Kalam, who were too busy serving the cause of nation to think of exploiting women, are not even considered Muslims by Sharia lovers. No wonder, when Dr. Kalam died, no prominent Muslim leader issued even a condolence. …

( from ‘Naked Mughals (Bestseller in Islamic books in India) )

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PDF –

The Naked Mughals – Illustrated

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Hindu lives do not matter

Because Hindu Lives Don’t Matter: How Global Media Hid the Plight of Hindus caught in the Rohingya Wildfire

By Amit Radha nigam

https://rightlog.in/2017/09/hindus-rohingya-crisis-01/


On August 25, scores of unidentified armed men with firearms, bombs, and knives opened coordinated and deadly attacks on Myanmar border posts and police. In the dead of night, they stormed and besieged Hindu villages in Maungdaw and started slitting their throats, stabbing them killing as many as 86 Hindus and their families in cold blood (Burmese Hindus living in the Rakhine state of Myanmar). After that, they set fires to their houses in Fakira Bazar, Riktapara and Chikonchhari villages rendering nearly 200 families homeless.

As a result, more than 400 Hindus along with their families from Maungdaw state fled to Bangladesh through Rezu Amtola border in Ukhia upazila of Cox’s Bazar district. They are currently being sheltered in the Paschim Hindupara of Katupalong camp in dilapidated makeshifts arrangement with very limited or no access to basic food and health services. Along the bordering areas of Baishfari, Chakdhala and Tambru, more around 200 Hindus along with Rohingyas are still stranded in the no man’s land as on August 31.

Rakhine crises that dates back to 1977 is a humanitarian crises faced by Hindus and Muslims alike. It was triggered fresh when Muslim Rohingya insurgents attacked government posts killing dozens of officers and burning Buddhist monasteries and statues. But, let it be said again, that in the face of any crises such as this that both Hindus and Muslims face together, the media of this country along with their influential international partners have always disproportionately ignored to examine the exodus of the Hindus who are burning and fleeing alongside the Rohingyas (This is the stuff that books like ‘The Ministry of Utmost happiness’ should be left alone to do).

“We fled because we heard the fighting and we heard that Hindus elsewhere had been killed,” – a woman with three children said (Reported theguardian).

There are two sides of the current ongoing crises fighting against each other. ARSA (also known by the name Harakat al-Yaqeen, or “Faith Movement.”) fighting with the Myanmar government claiming they are fighting for freedom and government claiming that ARSA is a terrorist organization. The tension got escalated when in 9 October 2016, when ARSA attacked the Border Guard Police (BGP) bases in Rakhine State and later in 12 November when they killed a senior army officer. ARSA signifies the emergence of a new Muslim insurgency in Rakhine and its leader Ata Ullah, who was born in Karachi and later moved to Saudi Arabia, has garnered much support from both the countries, due to its terror activities. Reportedly, he was also trained in modern guerrilla warfare under the Taliban in Pakistan. It does not surprise me, in fact tells more about what ARSA is all about, contrary to what they say they stand for. If Myanmar’s Union Minister for Home Affairs Lt-Gen Kyaw Swe is to believe, ARSA Terrorists want to create Islamic Republic in Rakhine.

While the stand that Myanmar government has taken is condemned by Countries like US (who in the name of national security would put cameras in the bedroom of their own citizens), but I believe that the fact that several of the ARSA (also known by the name Harakat al-Yaqeen, or “Faith Movement.”) men have connections with terrorists organizations completely vindicates India’s stand in the interest of national security to not accept Rohingya Muslims as refugees. Several Muslims and politicians in India, whether in AMU or West Bengal, who are up in ante against the government for this crises, or any other that Muslims allegedly face anywhere in the world, have seldom  protested for atrocities faced by Hindus in India, Pakistan, POK districts, West Bengal or elsewhere in the world. This only indicates that the sympathy is far away from any humanitarian grounds rather than as a biased call to support their own ‘community’.

Just because Rohingya majority is of Muslims while a minority are Hindus, some of the media houses have completely ignored the terror and run-away faced by Hindus as well.

Had it been a real ‘textbook example of ethnic cleansing’, no Hindu would have died so far. Another consequence of this selective reporting is that armed insurgents, in the same cover up, have been portrayed as terrified Muslims of Rohingya. Even the Human rights mouthpieces of US have largely ignored to bring out a complete assessment of the troubles of all communities.

The right thing to do for the people and the media who are coming out in support of the Rohingya Muslims is to also voice their support for the Hindu families and the families of the killed Myanmar security officers and appeal Muslims in ARSA to lay down their arms first. It is because of them the military had to take such desperate action, lest all will be lost to the insurgents.
The moral trumpet does not blow well from one side and a Muslim insurgency like this, which begun by the terrorist attack, cannot be contained by international condemnation. Here, if you try to wash the feet like the Pope, chances are that the same would kill you before you know. However, it is imperative for the government to also ensure the safety of its innocent civilians too – be it Muslims or Hindus and there has to be a limit to collateral damage when it comes to precious lives – not just of a Muslims but of Hindus as well very much.

[1] http://www.thedailystar.net/world/southeast-asia/rohinga-crisis-hindu-people-too-fleeing-persecution-myanmar-violence-1456756

http://bdnews24.com/neighbours/2017/08/30/terrorists-want-to-create-islamic-republic-in-rakhine-myanmar-home-minister