Navratri and NavDurga- in Hindi.
शुप्रभातं मम आत्मिय स्वजनं …..
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम।।
पंचम स्कन्दमातेति षष्ठमं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टम।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।
१:- देवी दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। वृषभ-स्थिता इन माताजी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम ‘सती’ था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था।
ध्यान:- वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥ पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा…
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