बृहदारण्यकोपनिषद – प्रलय के बाद ‘सृष्टि की उत्पत्ति

Sanatan Dharm and Hinduism's avatarHINDUISM AND SANATAN DHARMA

img_4902

‘बृहत’ (बड़ा) और ‘आरण्यक’ (वन) दो शब्दों के मेल से इसका यह ‘बृहदारण्यक’ नाम पड़ा है। इसमें छह अध्याय हैं बृहदारण्यक उपनिषदों पर भर्तु प्रपंच ने भाष्य रचना की थी।

इसमें छह ब्राह्मण हैं।

प्रथम ब्राह्मण में, सृष्टि-रूप यज्ञ’ को अश्वमेध यज्ञ के विराट अश्व के समान प्रस्तुत किया गया है। यह अत्यन्त प्रतीकात्मक और रहस्यात्मक है। इसमें प्रमुख रूप से विराट प्रकृति की उपासना द्वारा ‘ब्रह्म’ की उपासना की गयी है।

दूसरे ब्राह्मण में, प्रलय के बाद ‘सृष्टि की उत्पत्ति’ का वर्णन है।

तीसरे ब्राह्मण में, देवताओं और असुरों के ‘प्राण की महिमा’ और उसके भेद स्पष्ट किये गये हैं।

चौथे ब्राह्मण में, ‘ब्रह्म को सर्वरूप’ स्वीकार किया गया है और चारों वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) के विकास क्रम को प्रस्तुत किया गया है।

पांचवें ब्राह्मण में, सात प्रकार के अन्नों की उत्पत्ति का उल्लेख है और सम्पूर्ण सृष्टि को ‘मन, वाणी और प्राण’…

View original post 7,936 more words

Unknown's avatar

Author: Sanatan Dharm and Hinduism

My job is to remind people of their roots. There is no black,white any religion in spiritual science. It is ohm tat sat.

Leave a comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.