100% व्यक्ति का मन तथा भविष्य जानने की सरल विधि

भविष्य बताने वाला खेल क्या है? | भविष्य जानने की सरल विधि | भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना | त्रिकाल ज्ञान मंत्र | त्रिकालदर्शी मंत्रआज की तेजी से बदलती दुनिया में भविष्य जानना एक जरूरत बनती जा रही है। भविष्य के बारे में जानना एक रोमांचक अनुभव हो सकता है। अधिकांश लोग अपने भविष्य के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं। लेकिन इस इच्छा को पूरा करने के लिए अक्सर लोग विभिन्न विधियों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि ज्योतिष, तांत्रिक विद्या और धार्मिक अनुष्ठान आदि। 

इस लेख में हम आपको एक सरल विधि बताएंगे जिसके माध्यम से आप भविष्य के बारे में अधिक से अधिक जान सकते हैं। यह विधि स्वतंत्र है और इसका उपयोग करने के लिए आपको किसी भी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होगी। इस ब्लॉग के माध्यम से, आप एक ऐसी सरल विधि सीखेंगे जिससे आप अपने भविष्य को आसानी से समझ सकेंगे।

भविष्य बताने वाला खेल क्या है?

ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी भविष्य जानने की यह विद्या है। गांव में यह विद्या पुराने समय से भविष्य जानने के लिए, हमारे बुजुर्ग इस विद्या का इतेमाल करते थे। 

यह साधना देखा जाये तो अत्यंत प्रभावी है इसलिए इसे अच्छा होगा की गुरु के सानिध्य में रहेकर ही कि जाये। क्योंकी इस साधना में बड़े ही विचत्र अनुभव होते है जो साधक को मानसिक हानि पोहच्या सकते है।

1. भूत भविष्य वर्तमान जानने का मंत्र  

साधक नवरात्रों में भक्तिभाव से हनुमानजी का पूजन करे। फिर किसी हनुमान मंदिर में, जो एकांत में स्थित हो, वहां जाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करे।  

मंत्र इस प्रकार है:  

ॐ नमो वीर हनुमान, हाथ बताशा मुख सूं पान। 

आओ हनुमान बताओ हाल, कालरथी को चेला अंजनी को लाल । 

अमुक मनुज को पीछा आगा, भविष सब ऊंचा नीचा। 

पाप-पुण्य सब चोखा-चोखा, तुरतहि बताओ न बताओ तो, माता अंजनी का दूध हराम । 

गुरु गोरख उचारे, अंजनी का जाया हनुमान म्हारो काज संवारे। 

मेरी भगति गुरु की शक्ति मंत्र सांचा । 

साधना विधि: 

नवरात्रों के बाद साधक को नित्य प्रतिदिन एक माला इस मंत्र की जपते रहना चाहिए। छ: माह अथवा उससे पूर्व ही यह मंत्र चैतन्य होकर अपना चमत्कार दिखाने लगता है। धीरे-धीरे ध्यानावस्था में दर्शन के साथ ही स्पष्ट रूप से आवाजें सुनाई देती प्रतीत होती हैं।  

ऐसी स्थिति आने पर साधक को अपने अंदर और अधिक मंत्र-बल संजोकर रखना चाहिए। इसके लिए साधक नित्य प्रतिदिन अधिक संख्या में मंत्र-जप करे। मंत्र-जप विषम संख्या में तीन, पांच, सात, नौ… आदि मालाओं के अनुसार ही करना उत्तम रहता है। 

साधक को हनुमानजी की साधना श्रद्धा-भक्ति के साथ करनी चाहिए और हनुमानजी को सिंदूर, चोला, नारियल, ध्वज, चना, गुड़ और रोट चढ़ाना चाहिए। हनुमान जयंति, रामनवमी और मंगलवार के व्रत पूजन आदि भक्ति-भाव से करने चाहिएं। इस प्रकार जप और पूजन करने से साधक को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

प्रयोग विधि:

जब कोई व्यक्ति साधक के पास अपना भविष्य पूछने के लिए आता है, तो साधक उससे उसका नाम-पता आदि पूछकर हनुमान जी के मूर्ती पर पान और बताशा चढ़ाने के लिए भेज दे। इसी बीच साधक हनुमानजी का ध्यान लगाकर मन ही मन मंत्र-जप करता रहे। 

अमुक की जगह इच्छित व्यक्ति का नाम ले। साधक को इस ध्यानावस्था में ही उस व्यक्ति के भूत-भविष्य के बारे में सब कुछ ज्ञान हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति की समस्याएं और उनका हल भी साधक को ज्ञात हो जाता है।

सावधानियां  

यह मंत्र प्रयोग विधि अत्यंत प्रभावी है, इसलिए इसे अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में ही करे। हनुमान जी के सभी नियमनों का पालन करे। साधना काल में मित्रो से दुरी रखे, साधना गुप्त रखे। अगर साधना काल में घबराट महसूस हो, तो रामरक्षा स्तोत्र का 11 बार पाठ करे। 

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Author: Sanatan Dharm and Hinduism

My job is to remind people of their roots. There is no black,white any religion in spiritual science. It is ohm tat sat.

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