Shiv Tandav Stotram -शिव तांडव स्तोत्र

Shiv Tandav Stotram: शिव तांडव स्तोत्र  की रचना लंकापति रावण ने की थी। कहते हे की रावण ने ब्रम्हाजी से शक्तिया हासिल की थी। उस समय अपने शक्तियों के मध चूर होकर उसने कैलाश पर्वतउठा लिया था तब भगवान शिव ने अपने केवल एक अंगूठेसे उसे निचे दबा दिया था। तब रावण के हात उसके निचे दब गए उसे बहोत पीड़ा हो रही थी तब उसने Shiv Tandav शिव तांडव गाना शुरू किया उससे शिव बहोत कुश हुए और अपना अंगूठा निकल लिया और रावण को वर दे दिया।

 Shiv Tandav Stotram Hindi 

जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् ।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥

जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि । 

धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥

धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस् फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे ।

कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥

लता भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे ।

मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥

सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः ।

भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ॥

ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् ।

सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः ॥

कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके ।

धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥

नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्- कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः ।

निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ॥

प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् ।

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे ॥

अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् ।

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे ॥

जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् ।

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥

स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- – गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥

इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥

पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव- स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

100% व्यक्ति का मन तथा भविष्य जानने की सरल विधि

भविष्य बताने वाला खेल क्या है? | भविष्य जानने की सरल विधि | भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना | त्रिकाल ज्ञान मंत्र | त्रिकालदर्शी मंत्रआज की तेजी से बदलती दुनिया में भविष्य जानना एक जरूरत बनती जा रही है। भविष्य के बारे में जानना एक रोमांचक अनुभव हो सकता है। अधिकांश लोग अपने भविष्य के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं। लेकिन इस इच्छा को पूरा करने के लिए अक्सर लोग विभिन्न विधियों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि ज्योतिष, तांत्रिक विद्या और धार्मिक अनुष्ठान आदि। 

इस लेख में हम आपको एक सरल विधि बताएंगे जिसके माध्यम से आप भविष्य के बारे में अधिक से अधिक जान सकते हैं। यह विधि स्वतंत्र है और इसका उपयोग करने के लिए आपको किसी भी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होगी। इस ब्लॉग के माध्यम से, आप एक ऐसी सरल विधि सीखेंगे जिससे आप अपने भविष्य को आसानी से समझ सकेंगे।

भविष्य बताने वाला खेल क्या है?

ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी भविष्य जानने की यह विद्या है। गांव में यह विद्या पुराने समय से भविष्य जानने के लिए, हमारे बुजुर्ग इस विद्या का इतेमाल करते थे। 

यह साधना देखा जाये तो अत्यंत प्रभावी है इसलिए इसे अच्छा होगा की गुरु के सानिध्य में रहेकर ही कि जाये। क्योंकी इस साधना में बड़े ही विचत्र अनुभव होते है जो साधक को मानसिक हानि पोहच्या सकते है।

1. भूत भविष्य वर्तमान जानने का मंत्र  

साधक नवरात्रों में भक्तिभाव से हनुमानजी का पूजन करे। फिर किसी हनुमान मंदिर में, जो एकांत में स्थित हो, वहां जाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करे।  

मंत्र इस प्रकार है:  

ॐ नमो वीर हनुमान, हाथ बताशा मुख सूं पान। 

आओ हनुमान बताओ हाल, कालरथी को चेला अंजनी को लाल । 

अमुक मनुज को पीछा आगा, भविष सब ऊंचा नीचा। 

पाप-पुण्य सब चोखा-चोखा, तुरतहि बताओ न बताओ तो, माता अंजनी का दूध हराम । 

गुरु गोरख उचारे, अंजनी का जाया हनुमान म्हारो काज संवारे। 

मेरी भगति गुरु की शक्ति मंत्र सांचा । 

साधना विधि: 

नवरात्रों के बाद साधक को नित्य प्रतिदिन एक माला इस मंत्र की जपते रहना चाहिए। छ: माह अथवा उससे पूर्व ही यह मंत्र चैतन्य होकर अपना चमत्कार दिखाने लगता है। धीरे-धीरे ध्यानावस्था में दर्शन के साथ ही स्पष्ट रूप से आवाजें सुनाई देती प्रतीत होती हैं।  

ऐसी स्थिति आने पर साधक को अपने अंदर और अधिक मंत्र-बल संजोकर रखना चाहिए। इसके लिए साधक नित्य प्रतिदिन अधिक संख्या में मंत्र-जप करे। मंत्र-जप विषम संख्या में तीन, पांच, सात, नौ… आदि मालाओं के अनुसार ही करना उत्तम रहता है। 

साधक को हनुमानजी की साधना श्रद्धा-भक्ति के साथ करनी चाहिए और हनुमानजी को सिंदूर, चोला, नारियल, ध्वज, चना, गुड़ और रोट चढ़ाना चाहिए। हनुमान जयंति, रामनवमी और मंगलवार के व्रत पूजन आदि भक्ति-भाव से करने चाहिएं। इस प्रकार जप और पूजन करने से साधक को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

प्रयोग विधि:

जब कोई व्यक्ति साधक के पास अपना भविष्य पूछने के लिए आता है, तो साधक उससे उसका नाम-पता आदि पूछकर हनुमान जी के मूर्ती पर पान और बताशा चढ़ाने के लिए भेज दे। इसी बीच साधक हनुमानजी का ध्यान लगाकर मन ही मन मंत्र-जप करता रहे। 

अमुक की जगह इच्छित व्यक्ति का नाम ले। साधक को इस ध्यानावस्था में ही उस व्यक्ति के भूत-भविष्य के बारे में सब कुछ ज्ञान हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति की समस्याएं और उनका हल भी साधक को ज्ञात हो जाता है।

सावधानियां  

यह मंत्र प्रयोग विधि अत्यंत प्रभावी है, इसलिए इसे अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में ही करे। हनुमान जी के सभी नियमनों का पालन करे। साधना काल में मित्रो से दुरी रखे, साधना गुप्त रखे। अगर साधना काल में घबराट महसूस हो, तो रामरक्षा स्तोत्र का 11 बार पाठ करे। 

Ram Raksha Stotra In English And Hindi | Ram Raksha Stotra Lyrics

श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में एक प्रसिद्ध पौराणिक स्तोत्र है, जो भगवान राम की स्तुति करता है। इस स्तोत्र का उच्चारण भक्ति के साथ श्रद्धापूर्वक किया जाता है और इसे दुःखों से रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। इस पोस्ट में हम राम रक्षा स्तोत्र को हिंदी और इंग्लिश में विस्तार से दोनों भाष्यवो मे दिए है इस स्तोत्र को पढ़कर लाभ लीजिये। 

Ram Raksha Stotra In Hindi | राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में

विनियोग: 

अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः । 

श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः । 

श्रीमान हनुमान कीलकम । 

श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।  

अथ ध्यानम्‌: 

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं, 

पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम । 

वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी, 

रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥  

राम रक्षा स्तोत्रम्: 

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । 

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥  

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । 

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥  

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् । 

स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥  

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् । 

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥  

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति । 

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥  

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः । 

स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥  

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित । 

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥  

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।

 उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥ 

 जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।

 पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥  

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत । 

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥  

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः । 

न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥  

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन । 

नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥ 

 जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।

 यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥  

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत । 

अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥  

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः । 

तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥  

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । 

अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥ 

 तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ । 

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥ 

 फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।

 पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥ 

 शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् । 

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥ 

 आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ । 

रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥  

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा । 

गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥  

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली । 

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥  

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः । 

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥  

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः । 

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥  

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम । 

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥  

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं, 

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम । 

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं, 

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥  

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे । 

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥  

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम, 

श्रीराम राम भरताग्रज राम राम । 

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम, 

श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥  

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि, 

श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि । 

श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि, 

श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥  

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी, 

रामो मत्सखा रामचन्द्रः । 

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं, 

जाने नैव जाने न जाने ॥30॥  

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज । 

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥  

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं । 

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥  

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम । 

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥  

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम । 

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥  

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् । 

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥  

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् । 

तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥  

रामो राजमणिः सदा विजयते, 

रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता, 

निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः । 

रामान्नास्ति परायणं परतरं, रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः, 

सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥  

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । 

सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥ 

॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं “श्रीरामरक्षास्तोत्रं” संपूर्णम् ॥   

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

Ram Raksha Stotra in English

Viniyog 

Shri Ganeshaaya Namaha |

Asya Shri Rama Raksha stotra mantrasya |

Budha Koushika Rushi-hi |

Shri Seeta Ramachandro devataa |

Anushtup Chanda-ha | Seeta shakti-hi |

Srimad Hanumaan-a Keelakam-m |

Shri Seeta Ramachando preetyarte jape viniyoga-ha || 

Aththa Dhyanam  

Dhyaye daajaanu baahum dhruta shara danusham badra padma sanastham | 

Peetham vaaso vasaanam navakamala dala spardhi netram prasannam || 

Vaaman-karuDa Sita muka kamala mila lochanam neera daabam | 

Naanaa lankaara deeptham dadha tamuru jataa mandanam Ramachandram ||   

Ram Rasha Storamsya

Charitham Raghunaathasya shatha koti pravistaram | 

Ekaika maksharam pumsaam maha paataka naashanam ||1|| 

Dhyatva neelotpala Shyamam Ramam raajiva lochanam | 

Jaanaki Lakshmano pethaam jata mukuta manditham ||2|| 

SaasitUna dhanurbaana paanim naktham charaantakam | 

Svaleelaya jagatraatu maavirbhUta majam vibhum ||3|| 

Ramaraksham patetpradnya-ha paapagneem sarvakaamadham | 

Shiro me Raghava-h paatu bhaalam dasharathaatmaja-ha ||4|| 

Kausalyeyo drushau paathu Vishwamitra priya-h shrutee | 

Ghraanam paathu makhatraathaa mukham Saumitri vatsala-ha ||5|| 

Jivhaam vidya nidhi-h paathu kanTam Bharata vandita-ha | 

Skandhau divya yudha-h paathu bhujhau bhagnesha kaarmuka-h ||6|| 

Karau Sitapati-h paatu hrudayam Jaamadagnyajit | 

Madhyam paathu khara dhwamsee naabhim Jaambhavadaashraya-ha ||7|| 

Sugreevasha katee paathu sakthinee Hanumath-prabhu-h | 

Uruu Raghuththama-h paathu raksha-h kula vinaasha-kruth ||8|| 

Jaanunee sethukruth-paathu jadgne dasha-mukhaanthaka-ha | 

Paadhau BibheeshaNa-shreeda-h paathu Raamo-n-khilam vapu-h ||9|| 

Yethaam Rama-balO-pethaam rakshaam ya-h sukruthee paTet | 

Sa chiraayu-h sukhee putree vijayi vinayi bhavet ||10|| 

Paataala bhutalavyoma chaariNashchadh-ma chaarina-ha | 

Na drushtumapi shaktaaste rakshitam Rama naamabhi-hi ||11|| 

Rameti Ramabhadrethi Ramachandrethi vaa smarana | 

Naro na lipyate paapai bhukthim mukthim cha vindathi ||12|| 

Jagajjetraika-mantreNa Ramanam-naabhi-rakshitam | 

Ya-h kaNTe dhaarayethtasya karasthhA-h sarvasidhdhaya-h ||13||

 Vajra-panjaranaamedam yo Raamakavacham smaret | 

Avyaahataagnya-h sarvatra labhate jayamangalam ||14|| 

Adishtavaan yathaa swapne Ramarakshaamimaam hara-h | 

Tatha likhitavaana praata-h prabhudhdho budhakaushika-h ||15|| 

Aaraama-h kalpavrukshaaNaam viraama-h sakalapadaam | 

Abhiraamstrilokaanaam Rama-h shreemaan sa na-h prabhu-h ||16|| 

Tarunnau roopasampannau sukumaarau mahabalau | 

Pundareeka-vishaalakshau cheera krushNaa jinaambarau ||17|| 

Phalamoolashinau daantau taapasau brahmachaariNau | 

Putrau dasharathasyaythau bhratarau RamalakshmaNau ||18|| 

Sharanyau sarvasatvaanaam shreshTau sarvadhanushmatham | 

Raksha-h-kulanihantaarau traayetaam no raghuththamau ||19|| 

Aaththasajhjha-dhanushaa vishusprushaa shuganishandga sandginau | 

RakshaNaaya mama RaamalakshmaNaa vagratha-h pathi sadaiva gachchathaam ||20||

 Sannaddha-h kavachee khaDgee chaapabaaNadharo yuvaa | 

gachchana-manoratho-smaakam Raama-h paathu sa-lakshmana-h ||21|| 

Raamo Daasharathi-h shooro LakshmaNaa-nucharo balee | 

Kaakutstha-h purusha-h poorna-h Kausalyeyo raghuththamma-h ||22|| 

Vedantavedhyo yagnesha-h puraaNapurushoththama-h | 

Janakeevallabha-h Shrimaan-naprameya parakrama-h ||23|| 

Ityetaani japennityam madbhakta-ha shraddhayaanvita-h | 

Ashwamedhaayutam punyam sampraaprOti na samshaya-ha ||24|| 

Raamam duurvaadalashyamam padmaaksham peetavaasasam | 

Stuvanti naamabhirdhirvyairna te samsaarinO nara-h ||25|| 

Raamam LakshmaNa puurvajam Raghuvaram Seetapatim sundaram | 

KaakutasTham karuNaarNavam guNanidhim 

viprapriyam dhaarmikam Raajendram satyasamdham 

Dasharathanayam shyamalam shaantamuurthim | 

Vande lokabhiraamam Raghukulatilakam Raaghavam RaavaNaarim ||26|| 

Raamaya Raamabhadraaya Raamachandraaya vedhase | 

Raghunaathaaya naathaaya Seethaayaa-h pathaye namah ||27|| 

Shreeraam Raam Raghunandana Raam Raam | 

Shreeraam Raam Bharathaagraja Raam Raam | 

Shreeraam Raam RaNakarkasha Raam Raam | 

Shreeraam Raam SharaNaM bhava Raam Raam ||28|| 

ShreeraamachandracharaNau manasaa smaraami | 

ShreeraamachandracharaNau vachasaa gruNaami | 

ShreeraamachandracharaNau shirasaa namaami | 

ShreeraamachandracharaNau sharaNam pradhye ||29|| 

Maataa Raamo matpithaa Ramachandra-ha | 

Swamee Raamo matsakhaa Ramachandra-ha | 

Sarvaswam me RamachandrO dayaalu | 

Naanyam jaane naiva jaane na jaane ||30|| 

DakshiNe LakshmaNO yasya vaame tu Janakaatmajaa | 

Puratho Maarutiryasya tam vande Raghunandanam ||31|| 

Lokabhiraamam ranarangadheeram raajeevanetram Raghuvamshanaatham | 

KaaruNyaroopam karuNaakaramtam Shreeraamachandram sharaNam prapadhye ||32|| 

Manojavam Maarutatulyavegam jitendriyam varishTam | 

Vaataatmajam vaanarayuuthamukhyam Shreeraamadootam sharaNam prapadhye ||33|| 

Koojantham Raamaraameti madhuram madhuraaksharam | 

Aaruhya kavithashaakhaam vande Valmiikikokilam ||34|| 

Aapadaampahartaaram daataaram sarvasampadaam | 

Lokaabhiraamam Shreeraamam bhuyo bhuyo namaamyaham ||35|| 

Bharjanam bhavabeejaanaam-marjanam sukhasampadaam | 

Tarjanam yamadootaanaam Raamaraamethi garjanam ||36|| 

Raamo RaajamaNi-h sada vijayate Raamam ramesham bhaje | 

RaameNaabhihathaa nishaacarachamuu Raamaya tasmai namaha | 

Raamannaasti parayaaNam parataram Raamasya daasO-smayaham | 

Raame chiththalaya-h sada bhavatu me bho Raam maamudhdhara ||37|| 

Raama Raamethi Raamethi rame Raame manorame | 

Sahastranaama taththulyam Ramanaam varaanane ||38|| 

Ithi ShreeBudhakaushikavirachitham ShreeRamarakshastotram sampoorNam ||

 || Shree SeethaaraamachandraarpaNamasthu ||

Future of 2024-2030

Bhavishya Malika के अनुसार 2022-2027 बिच होगा महाविनाश

Bhavishya Malika: वर्तमान में संत अच्युतानंदास महाराज की पुरानी उड़िया भाषा में लिखे गए ग्रंथ “भविष्य मालिका” की कुछ भविष्यवाणियां वायरल हो रही हैं। भविष्य मालिका को ओडिशा के महान संत अच्युतानंदास और पंचसखा ने लिखा है।  

ध्यान रहे, वैसे तो दुनिया में भविष्य बताने वाले कई ग्रंथ हैं, लेकिन उनकी तुलना में भविष्य मालिका सबसे सटीक है क्योंकि इसके सही होने का प्रमाण हमें लगातार दुनियाभर में घट रही घटनाओं से मिल रहा है। उन्होंने इन भविष्यवाणियों को ताड़ के पत्रों पर लिखा था। इस समय उनकी लिखी भविष्यवाणियां वायरल हो रही हैं। 

भविष्य मलिका क्या है ? | What Is Bhavishya Malika

आज से लगभग 500 साल पहले, यानी सोलहवीं सदी में उड़ीसा में पांच महान संत हुए थे, जिनके नाम हैं संत अच्युतानंद दास, संत अनंत दाससंत जसोबंता दास, संत जगन्नाथ दास और संत बलराम दास। इन समकालीन संतों को “पंचसखा” नाम से जाना जाता है। इन पांचों संतों ने उड़ीसा की वैष्णव परंपरा में आध्यात्मिक साहित्य और दर्शन शास्त्र को एक नया रूप दिया। 

इन्हीं संतों में से एक संत अच्युतानंद के पास भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों को देख लेने की अद्भुत शक्ति थी। इन्हीं संतों ने भविष्य मालिका की रचना ताड़ के पत्रों पर की थी। भविष्य मालिका ग्रंथ में कई बड़ी भविष्यवाणियां हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भविष्य के विषय पर 318 पुस्तकें संत अच्युतानंद दास ने लिखी हैं। 

भविष्य मलिका की भविष्यवाणिया 

भविष्य मालिका में कलयुग के अंतिम कालखंड और युग बदलने को लेकर अनेक सटीक भविष्यवाणियां की गई हैं, जो आज के समय से संबंधित हैं। सबसे पहले होगा कलयुग का अंत, महाविनाश, तीसरा विश्व युद्ध और कल्कि अवतार। 

भविष्य मलिका में कलयुग का अंत, महाविनाश, प्राकृतिक आपदा और विश्व युद्ध को लेकर कुछ लक्षण दिए है जिससे हमें मलिका के भविष्यवनियो का सत्यता और सटीकता का अंदाजा आजायेगा।

1. कलयुग के अंत के लक्षण

संत अच्युतानंद दास ने कलयुग के अंत के लक्षणों को भविष्य मलिका के भविष्यवाणियों में काफी विस्तार से लिखा है जैसे

सामजिक अस्तिरता, धर्म का नाश, अधर्म का स्वीकार, भ्रष्टाचार इ  

कलयुग के अंत के कुछ लक्षण निम्नलिखित है :

  • लोग ईश्वर को भूल जाएंगे और उनके खिलाफ बोलना शुरू कर देंगे संसार में धर्म को मानने वाले लोग बहुत कम रह जाएंगे।
  • समाज में बड़ो और अध्यापकों का सम्मान खत्म हो जाएगा धर्मगुरु और बाबा लोक लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करेंगे फर्जी बाबाओं के हाथों लोगों को ठगे जाने की घटनाएं भी आम होती जायेंगी। 
  • लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूल जाएंगे पुराने ज्ञान को महत्व नहीं देंगे। 
  • लोग भ्रष्टाचार और अपराध के रास्ते धन कमाएंगे भ्रष्टाचार के मामले सामने आएंगे। 
  • अपराधी खुलेआम खतरनाक हथियार लेकर घूमेंगे और इसका इस्तेमाल भी करेंगे। 
  • स्त्री और पुरुष दोनों अनैतिक संबंध और व्यभिचार को अपनाने लगेंगे।
  • कलयुग के अंत से थोड़ा पहले खाने के सामान की कमी, बीमारियां, दुर्घटनाएं बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से लोगों में असंतोष फैलेगा और कुछ जगह लोग सरकार के खिलाफ बगावत कर देंगे। 
  • 2. महाविनाश के लक्षण  
  • भविष्य मलिका के मुताबिक, जब किसान खेती के काम में रुचि लेना बंद कर देंगे और जंगली जानवर गांव और शहरों पर हमला शुरू कर देंगे, तब समझ लेना चाहिए कि वहां महाविनाश निकट है। ऐसे बहुत से लोग जानते होंगे कि जब भूकंप या कोई और बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, तो उसका सबसे पहले जानवरों को आभास हो जाता है। 
  • कुछ महाविनाश के लक्षण निम्नलिखित है :
  • किसान बारिश से निराश हो जाएंगे और खेती का काम करना छोडने लगेंगे।
  • सूरज अपनी परोपकार का छोड़ देगा और दुनिया भर में गर्मी बढ़ जाएगी।
  • साइक्लोन की हवाएं बर्बादी फैलायगी और लोग तेज हवाओं की आवाज से ही डर जाएंगे।
  • जंगली जानवर और सांप जंगल छोड़कर गांवों और शहरों में घरों पर हमला करेंगे।
  • भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा तथा मदिर का झंडा कई बार गिरेगा। 
  • जगन्नाथ पुरी मंदिर का बड़ा पत्थर गिरेगा मंदिर का झंडा भी कई बार गिरेगा त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है उसमें आग लग जाएगी मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी।
  • उड़ीसा में पुरी के आखिरी राजा का नाम गजपति महाराज होंगे।
  • उड़ीसा में तूफान आएगा पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ टूट जाएगा इसके बाद दुनिया में लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
  • भारत का आखिरी राजा यानि पंतप्रधान एक शक्तिशाली हिंदू शासक होगा।
  • नई नई बीमारियां फैलेगी और उनका डॉक्टर के पास भी कोई इलाज नहीं होगा महामारियो की वजह से लाखों की तादाद में लोग अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे, लोग अंतिम संस्कार करते करते थक जाएंगे और कई शव तो घर में ही पड़े रह जाएंगे दुनिया भर के लोगों का दिमाग अशांत रहेगा दवाइयों से महामारी रोकने की बजाय और बढ़ जाएंगी। 
  • 3. प्राकृतिक आपदा 2022 से 2027 बीच मचायेंगी तबाही 
  • दुनिया में अनेको भागो में प्राकृतिक आपदा तबाही मचाते दिखाई देंगी। कई देशो में बड़े बड़े भुकंप आएंगे तो कही जानलेवा बहाड़। कही बहुत ज्यादा बारिश होंगी तो कही भयंकर सुखा गिरेगा जिससे लोग पानि के लिए तरस जायेंगे। मोसम का चक्र पुरी तरह बदल जाएगा जिससे धरती पर बहुत ज्यादा गर्मी बड जाएगी।
  • कुछ प्राकृतिक आपदा निम्नलिखित है:
  • साल 2022 से 2027 तक प्राकृतिक आपदाएं भारत समेत दुनियाभर के लोग झेलेंगे वह अप्रत्याशित और खतरनाक होगा। 
  • धरती का तापमान बढ़ जाएगा और गर्मी इतनी पड़ेगी कि कई लोगों की जान चली जाएगी 2023 दुनिया में आज तक का सबसे गर्म साल होगा। 
  • धरती के कई ग्लेशियर टूट जाएंगे, ध्रुवों पर जमी बर्फ तेजी से पिघलेगी। 
  • दुनियाभर में नदियों का पानी कम होने और जमीन के नीचे का पानी कम हो जाने से पीने के पानी की कमी होगी खेती का नुकसान होगा। 
  • धरती का मौसम चक्र बेहद खतरनाक तरीके से बदल जाएगा ऋतु चक्र का ज्ञान इंसानों के किसी काम नहीं आएगा। 
  • दुनिया के कई शहरों और गांवों में बाढ़ से बर्बादी होगी। 
  • जल प्रलय की वजह से जंगली जानवर गांवों और शहरों में घुस आएंगे इस वजह से कई लोगों की मृत्यु हो जाएगी। 
  • समुद्र के आगे बढ़ने से दुनियाभर में तटवर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की जान को खतरा बनेगा और कई तटीय इलाकों की जमीन समुद्र में विलीन हो जाएगी।  
  • साल 2023 में धरती पर कई बड़े भूकंप आएंगे जो त्रासदी का रूप ले लेंगे यह भूकंप जनवरी के महीने से ही आने शुरू हो जाएंगे और दिसंबर के महीने तक लगातार चलते रहेंगे । 
  • भूकंप की वजह से जानमाल का बड़ा नुकसान देखने को मिलेगा। 
  • दुनिया भर में कई चक्रवाती तूफान आएंगे यह तूफान पहले के किसी भी साल की तुलना में न केवल तेज होंगे बल्कि इनकी संख्या भी ज्यादा होगी। 
  • दुनिया के कई छोटे-बड़े जंगलों में आग लग जाएगी यह आग इतनी भीषण होगी कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा दुनिया भर के जंगलों में हर साल भीषण आग लगने की घटनाएं आम होती जाएंगी।
  • 4. तीसरे विश्व युद्ध की शुरुवात 
  • जब धीरे-धीरे कर दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं बड जाएँगी, तो दूसरी ओर शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर हो जाएगी तीसरे विश्व युद्ध की शुरुवात। तीसरे विश्व युद्ध की नीव 2022 में ही रखी जाएगी और 2025 में भीषण युद्ध में तब्दील हो जाएगी। 
  • यह टकराव महाशक्तिशाली देशो के बिच होगा यह विश्वयुद्ध 6 साल 6 महीने चलेगा। इससे दुनिया दो भागो में बट जाएगी। भारत इस तीसरे विश्वयुद्ध अखरिके 13 महीने बाद शामिल होगा और भीषण युद्ध करेगा। 
  • भविष्य मलिका के अनुसार वर्चव, धार्मिक कटरता, भुखमरी और खाद्य पदार्थो का अभाव इस युद्ध का कारण होगा। इस युद्ध में परमाणु हत्यारों का इस्तेमाल होगा, इस वजह से धरती पर ज्यादातर लोगों की मौत होगी और कुछ ही लोग बच पाएँगे।
  • 5. आसमान में दिखेंगे दो सूरज 
  • आसमान में दो सूरज जैसा आभास होगा। एक तो सूरज होगा और दूसरा कोई और आसमानी चमकती वस्तु होगी। यह चमकती वस्तु कोई छोटा उल्कापिंड या फिर धूमकेतु हो सकती है। भविष्य मलिका के मुताबिक यह धूमकेतु तब गिरेगा जब भारत में युद्ध चल रहा होगा। 
  • धरती पर उल्कापिंड एक भयावह घटना होगी, जब यह उल्कापिंड दिन के समय में हिंद महासागर बंगाल की खाड़ी में गिरेगा। इससे एक बड़ी सुनामी आएगी और सुनामी में ओड़िसा के 6 जिले जलमग्न हो जाएंगे। 
  • 6. भगवन जगन्नाथ जायँगे छतिया बाटा  
  • सुनामी के कारण पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर की बाविस्वी सीडी तक पानी आ जाएगा। इस पानी में समुद्री मछलियां भी होंगी और ये लहरें श्री मंदिर के नील चक्र के ऊपर से निकल जाएँगी। इसलिए उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ को उनके भक्तजन पूरी से जाजपुर जिले में कटक से 30 किलोमीटर दूर छतिया बाटा ले जाएँगे। 
  • 7. चीन और 13 इस्लामिक देशो का भारत पर होंगा हमला
  • भविष्य मलिका में कहा गया है जब शनि मीन राशी में प्रवेश उसी समय दुनिया तीसरे विश्व युद्ध का महाविनाश देखेगी। 29 मार्च 2025 से 23 फरवरी 2028 तक कभी मार्गी और कभी वक्री होकर शनि मीन राशि में रहेंगे, इसी समय में भारत विश्व युद्ध में शामिल हो जाएगा। इस युद्ध का मुख्य कारण होगा भारत को लुटनेकी साजिस। 
  • जब भारत धार्मिक अतरिक समस्या से जुज रहा होगा और तब भारत में मिलिट्री शासन लगा होगा तभी चीन और पाकिस्तान अपने देश की हालत सुधारने के लिए भारत पर हमले की योजना बनायेंगे। चीन हमेशा की तरह खतरनाक साजिश रचेगा और पाकिस्तान सहित अन्य 13 इस्लामिक देश को धार्मिक आधारपर भारत के विरोध में लाने में सफल हो जाएगा। 
  • भारत कुल 13 महीने महायुद्ध लड़ेगा, जब पाकिस्तान समेत 13 इस्लामिक देश और चीन भारत पर हमला करेंगे। शुरुवात में इन देशो को सफलता मिलेगी जिससे भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा दुश्मन के अधिकार में चला जाएगा। इस युद्ध के दरम्यान भारत के कई शहरोपर परमाणु हमले किए जाएगे, लेकिन भारत कुछ भीषण हमलेसे बच जाएगा यह एक गुप्त रहस्य है, इसलिए इसे मे और आप कोई नहीं जान सकता।  
  • लेकिन भारत की सेना सटीक रणनीति के तहत बहुत ही शीघ्र दुश्मन देशो पर शक्तिशाली विस्पोटक भयानक प्रति हल्ला करेगा। जिससे दुश्मन देशो में हाहाकर मच जाएगा और वह केवल एक दुसरेके भरोसे ही रह जाएगे और इस तरह अंततः भारत इस युद्ध को जीत लेगा। न केवल युद्ध जीत लेगा बल्कि अखंड भारत भी एक हकीकत बनेगा। 
  • चीन के कई तुकडे हो जायेंगे और बचे 12 इस्लामिक देश अपना अस्तित्वा खो देंगे। वह भारत के आगे सरेडर कर देगे और बचा पाकिस्तान हर बार की तरह भारत के आगे माफ़ी मागेगा और भारत में शामिल होनेकी माग करेगा। इस तरह पाकिस्तान का नामो निशान मिट जाएगा और वह अखंड भारत का हिस्सा बनेगा। 
  • भारत पहले 5 साल 5 महीने तक तीसरे विश्वयुद्ध में शामिल नहीं होगा जब भारत पर हमला होगा तब अखरिके 13 महीने के बाद बाद भारत को युद्ध में शामिल होना ही होंगा। इसी समय भारत में मिलिट्री शासन लगेगा। 
  • 8. भगवान कल्कि अवतार और युद्ध विराम 
  • भारत पर हुए हमले से लोग परेशान हो जाएँगे और दुश्मन सेना चारो वोर से भारत को और जगनाथ पुरी को घेर लेंगी। इसी समय भारत में गृहयुद्ध अपने चरन पर पहोच जाएगा और भारत में सैन्य शासन ( मार्शल लॉ ) लगेगा। दुश्मन सेना राम मंदिर और बंगाल का काली मंदिर पर हमला करेंगे इस हमले मे राम मदिर को काफी नुकसान होंगा। 
  • लोग भगवान से इस हमले से बचने की गुहार लगाएँगे। तब एक नया मोड़ आएगा और भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि सभी के सामने आएँगे। दुश्मनों पर कल्कि भगवान कहर बनकर टूट पडेगे इससे दुश्मनों में खलबली मच जाएगी वे एक दुसरे के भरोसे ही रह जाएंगे। 
  • भारतीय सैनिक दुश्मनोके घर में घुसकर मारेगी। इस तरह भारत युद्ध विजयी हो जाएगा। भविष्य मलिका की  भविष्यवाणी के अनुसार कल्कि अवतार जन्म हो चुका है और वह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर है।
  • 9. अखंड भारत और युग परिवर्तन
  • विश्व युद्ध के बाद सीमाए बदल जाने की वजह से दुनिया में कुल 111 देश ही होंगे और विश्व की आबादी केवल 60 करोड़ रह जाएगी। बाकि बचे लोग संतान धर्म का स्वीकार कर लेगे। भारत इन सभी देशों को नए युग में ले जाएगा और विश्व का नेतृत्व भी करेगा। अखंड भारत की शासन व्यवस्था अलग होगी और लोकतंत्र से भी उत्तम व्यवस्था कायम होगी और पुरे विश्व में केवल एक ही धर्म होंगा सनातन धर्म।  
  • 10. भारत का आखिरी राजा एक हिंदू शासक होंगा 
  • मालिका के मुताबिक ओडिशा में पूरी के आखरी राजा गजपति महाराज होंगे और वही समयकाल भारत के आखिरी राजा यानि प्रधानमंत्री का भी होगा। यानी भारत के आखिरी पीएम को भी इसी समय काल में होना है। भारत का आखरी राजा एक शक्तिशाली हिंदू शासक, योगी पुरूष होंगा और उसकी कोई संतान नहीं होगी। 
  • तो दोस्तों आपको क्या लगता है भविष्य मलिका की भविष्यवाणी कितनी सच साबित हो रही है और यह कितिनी सटीक है। बात की जाए इसकी भविष्यवाणी की सटीकता की, तो 500 साल पाहिले कोण बता सकता था पाकिस्तान नाम का भी कोई देश अस्तित्व में आयेगा और इतने इस्लामिक देश होंगे। इसको मानना न मानना यह आप पर निर्भर करता है।   

3. एक महापुरुष भारत में लेगा जन्म Nostradamus के भविष्यवाणी के मुताबिक: 

एक महापुरुष एक ऐसे देश में जन्म लेगा जो तिन तरफ से महासागर से घेरा हुआ होगा तथा उस देश का नाम एक सागर के नाम पर होगा और पहले लोक उससे नफरत करेगे फिर बादमे सब उसका स्वीकार करेंगे और वही महापुरुष दुनिया में शांति स्थापित करेगा।” 
हम सभी को पता है india ही ऐसा है जो तीनो वोर से महासागर से घेरा हुआ है। लेकिन Nostradamus ने इसकी कोई सटीक तारिक नहीं बताई है, तो इसलिए यह भविष्यवाणी कब सच साबित होंगी और वो महापुरुष कोण हो सकता है कमेंट करे।    

Nostradamus की World War 3 लेकर भविष्यवाणीNostradamus के मुताबिक तीसरे महायुद्ध आस्तिक और नास्तिक के बिच होगा यानि भगवान को मानने वाले और न मानेवाले यह युद्ध की स्थिति सन 2012 से 2025 के बीच में कभी भी हो सकता है। तृतीय विश्व युद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निभाएगा और सभी देश उसकी सहायता के लिए आतुर रहेंगे और प्रतीक्षा करेंगे। 

  •  
  • Nostradamus ने World War 3 के लिए क्या लिखा है?
  • “सात महीने विश्वयुद्ध लड़ा जाएगा और बुरे काम करने वाले मारे जाएगे धर्म बाटेगा लोगों को काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे फिर रक्तपात होगा बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी। “
  • जब तृतीय युद्ध चल रहा होगा उस दोरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तभाही और मौत का मंजर होगा ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। चीन अरब की सैन्य के साथ मिलकर फ़्रांस तक हमला करेगी तथा स्पेन पर भी हमला किया जाएगा। 
  • फ़्रांस, स्पेन और इटली बुरी तरह हार जायेंगे और फिर पूर्वी हमलावर यूरोप पर भारी बमबारी करेंगे, पूरा यूरोप कीटाणु हमले का शिकार होगा। 
  • लेकिन ये कब होगा इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है। बस इसको डिकोड कर लिया गया है उसके आधार पर इन भविष्यवनियो को लोगो के सामने प्रस्तुत किया जाता आता है, परंतु कई भविष्यवानिया गलत भी साभित हुई है।
  • Nostradamus की गलत साबित हो चुकी भविष्यवानिया
  • नास्त्रेदमस की कई बड़ी बड़ी भविष्यवाणी गलत भी साबित हुई है, उन्होंने साल 1999 में दुनिया खत्म हो जाएगी ऐसा लिख था। जिस कारण दुनिया के लोग इससे बचने की कोशिश करने लगे थे और क्या-क्या बना दिया था लोगों ने लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं फिर साल 2012 में जो महा प्रलय आने वाला था वो भी भविष्य वाणी गलत साबित हुई।  

Ancient Bharatiya Sciences and Technology

In this article, I would like to cover the achievements of great scientists of our ancient culture, whose contributions not only helped shape a …

Ancient Bharatiya Sciences and Technology

Vijñāna-bhairava-tantra

pparihar.com/2023/04/21/vijnana-bhairava-tantra/

God in Vedas | HINDUISM AND SANATAN DHARMA

ईश्वर कैसा है,कहाँ रहता है,उसका रंग कैसा है,कोई उसका रूप या हुलिया तो बताइये?जब तक इन बातों का ज्ञान न हो जाय,तब तक अपने प्रियतम को कैसे पहचाने?कैसे समझे कि हम किसके दर्शन कर रहे हैं या हमें दर्शन हो गए?याज्ञवल्क्य ने एक बार गार्गी से कहा था-“ब्रह्म के जाननेवाले उसे अक्षर,अविनाशी,कूटस्थ कहते हैं।वह न…
— Read on pparihar.com/2022/07/18/god-in-vedas/

Future Badrinath and God Narsimha of Joshimath connection

Sanatan Dharm and Hinduism's avatarHINDUISM AND SANATAN DHARMA

Badrinath finds mention in the first chapter of second skanda of ‘Skanda Purana’.

The 57th shloka says, “The Ashram of lord Narayan was called ‘Muktipada’ in Satyuga, ‘Yogasiddha’ in Treta, ‘Vishal’ in Dwapar and ‘Badrikaashram’ in Kaliyug.”

In Vaman Purana, sage Pulastya says that ‘Dharma’ the divine body, manifested from the heart of Lord Brahma and married to ‘Murti’, daughter of Daksh. She gave birth to 4 sons, 2 of them being Nar and Narayan. Nar and Narayan reached Badrinath and performed penance.

It is believed that this is the same place where Ved Vyas compiled the Vedas and wrote Purans assisted by Bhagwan Ganesh. In Dwapar, Pandavas along with Draupadi too visited here when they were on their ascent to heaven (Swargarohini yatra).

According to Hindu scriptures, Bhakt Narad got salvation in Badrinath and the sages like Gautam, Kashyap and Kapil, who was himself the incarnation of lord Vishnu…

View original post 2,648 more words

Ayodhya and Ram in Atharved

Ayodhya and Ram and Atharv Veda

Sanatan Dharm and Hinduism's avatarHINDUISM AND SANATAN DHARMA

Ayodhya founded by Manu, in Atharva Veda called City of the Gods, capital of solar dynasty and Ikshvakus, Sarayu great river in Rigveda.

Ayodhyā (Hindi: अयोध्या) is an ancient city of India, the old capital of Awadh, in the current Faizabad district of Uttar Pradesh. Ayodhya is the birth place of Hindu God Shri Ram, and the capital of Kosala Kingdom. This Hindu holy city is described as early as in the Hindu Epics. During the time of Gautama Buddha the city was called Ayojjhā (Pali). Under Muslim rule, it was the seat of the governor of Awadh, and later during the British Raj the city was known as Ajodhya or Ajodhia and was part of the United Provinces of Agra and Oudh, it was also the seat of a small ‘talukdari’ state. It is on the right bank of the river Sarayu, 555 km east…

View original post 4,133 more words

Brahm Sutra -Part 3

Sanatan Dharm and Hinduism's avatarHINDUISM AND SANATAN DHARMA

Chapter IV, Phala-Adhyaya Section 1

In the Third Chapter, the Sadhanas or the means of knowledge relating to Para Vidya (higher knowledge) and Apara Vidya (lower knowledge) were discussed. The Fourth Chapter treats of Phala or the Supreme Bliss of attainment of Brahman. Other topics also are dealt with in it. In the beginning, however, a separate discussion concerned with the means of knowledge is dealt with in a few Adhikaranas. The remainder of the previous discussion about Sadhanas is continued in the beginning. As the main topic of this Chapter is that of the results or fruits of Brahma Vidya, it is called Phala Adhyaya.

SYNOPSIS

Adhikarana I: (Sutras 1-2) The meditation on the Atman enjoined by scripture is not an act to be accomplished once only, but is to be repeated again and again till knowledge is attained.

Adhikarana II: (Sutra 3) The meditator engaged in meditation on…

View original post 23,366 more words