Shiv Tandav Stotram: शिव तांडव स्तोत्र की रचना लंकापति रावण ने की थी। कहते हे की रावण ने ब्रम्हाजी से शक्तिया हासिल की थी। उस समय अपने शक्तियों के मध चूर होकर उसने कैलाश पर्वतउठा लिया था तब भगवान शिव ने अपने केवल एक अंगूठेसे उसे निचे दबा दिया था। तब रावण के हात उसके निचे दब गए उसे बहोत पीड़ा हो रही थी तब उसने Shiv Tandav शिव तांडव गाना शुरू किया उससे शिव बहोत कुश हुए और अपना अंगूठा निकल लिया और रावण को वर दे दिया।
भविष्य बताने वाला खेल क्या है? | भविष्य जानने की सरल विधि | भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना | त्रिकाल ज्ञान मंत्र | त्रिकालदर्शी मंत्रआज की तेजी से बदलती दुनिया में भविष्य जानना एक जरूरत बनती जा रही है। भविष्य के बारे में जानना एक रोमांचक अनुभव हो सकता है। अधिकांश लोग अपने भविष्य के बारे में जानने की इच्छा रखते हैं। लेकिन इस इच्छा को पूरा करने के लिए अक्सर लोग विभिन्न विधियों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि ज्योतिष, तांत्रिक विद्या और धार्मिक अनुष्ठान आदि।
इस लेख में हम आपको एक सरल विधि बताएंगे जिसके माध्यम से आप भविष्य के बारे में अधिक से अधिक जान सकते हैं। यह विधि स्वतंत्र है और इसका उपयोग करने के लिए आपको किसी भी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होगी। इस ब्लॉग के माध्यम से, आप एक ऐसी सरल विधि सीखेंगे जिससे आप अपने भविष्य को आसानी से समझ सकेंगे।
भविष्य बताने वाला खेल क्या है?
ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी भविष्य जानने की यह विद्या है। गांव में यह विद्या पुराने समय से भविष्य जानने के लिए, हमारे बुजुर्ग इस विद्या का इतेमाल करते थे।
यह साधना देखा जाये तो अत्यंत प्रभावी है इसलिए इसे अच्छा होगा की गुरु के सानिध्य में रहेकर ही कि जाये। क्योंकी इस साधना में बड़े ही विचत्र अनुभव होते है जो साधक को मानसिक हानि पोहच्या सकते है।
1. भूत भविष्य वर्तमान जानने का मंत्र
साधक नवरात्रों में भक्तिभाव से हनुमानजी का पूजन करे। फिर किसी हनुमान मंदिर में, जो एकांत में स्थित हो, वहां जाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करे।
मंत्र इस प्रकार है:
ॐ नमो वीर हनुमान, हाथ बताशा मुख सूं पान।
आओ हनुमान बताओ हाल, कालरथी को चेला अंजनी को लाल ।
अमुक मनुज को पीछा आगा, भविष सब ऊंचा नीचा।
पाप-पुण्य सब चोखा-चोखा, तुरतहि बताओ न बताओ तो, माता अंजनी का दूध हराम ।
गुरु गोरख उचारे, अंजनी का जाया हनुमान म्हारो काज संवारे।
मेरी भगति गुरु की शक्ति मंत्र सांचा ।
साधना विधि:
नवरात्रों के बाद साधक को नित्य प्रतिदिन एक माला इस मंत्र की जपते रहना चाहिए। छ: माह अथवा उससे पूर्व ही यह मंत्र चैतन्य होकर अपना चमत्कार दिखाने लगता है। धीरे-धीरे ध्यानावस्था में दर्शन के साथ ही स्पष्ट रूप से आवाजें सुनाई देती प्रतीत होती हैं।
ऐसी स्थिति आने पर साधक को अपने अंदर और अधिक मंत्र-बल संजोकर रखना चाहिए। इसके लिए साधक नित्य प्रतिदिन अधिक संख्या में मंत्र-जप करे। मंत्र-जप विषम संख्या में तीन, पांच, सात, नौ… आदि मालाओं के अनुसार ही करना उत्तम रहता है।
साधक को हनुमानजी की साधना श्रद्धा-भक्ति के साथ करनी चाहिए और हनुमानजी को सिंदूर, चोला, नारियल, ध्वज, चना, गुड़ और रोट चढ़ाना चाहिए। हनुमान जयंति, रामनवमी और मंगलवार के व्रत पूजन आदि भक्ति-भाव से करने चाहिएं। इस प्रकार जप और पूजन करने से साधक को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
प्रयोग विधि:
जब कोई व्यक्ति साधक के पास अपना भविष्य पूछने के लिए आता है, तो साधक उससे उसका नाम-पता आदि पूछकर हनुमान जी के मूर्ती पर पान और बताशा चढ़ाने के लिए भेज दे। इसी बीच साधक हनुमानजी का ध्यान लगाकर मन ही मन मंत्र-जप करता रहे।
अमुक की जगह इच्छित व्यक्ति का नाम ले। साधक को इस ध्यानावस्था में ही उस व्यक्ति के भूत-भविष्य के बारे में सब कुछ ज्ञान हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति की समस्याएं और उनका हल भी साधक को ज्ञात हो जाता है।
सावधानियां
यह मंत्र प्रयोग विधि अत्यंत प्रभावी है, इसलिए इसे अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में ही करे। हनुमान जी के सभी नियमनों का पालन करे। साधना काल में मित्रो से दुरी रखे, साधना गुप्त रखे। अगर साधना काल में घबराट महसूस हो, तो रामरक्षा स्तोत्र का 11 बार पाठ करे।
श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में एक प्रसिद्ध पौराणिक स्तोत्र है, जो भगवान राम की स्तुति करता है। इस स्तोत्र का उच्चारण भक्ति के साथ श्रद्धापूर्वक किया जाता है और इसे दुःखों से रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। इस पोस्ट में हम राम रक्षा स्तोत्र को हिंदी और इंग्लिश में विस्तार से दोनों भाष्यवो मे दिए है इस स्तोत्र को पढ़कर लाभ लीजिये।
Ram Raksha Stotra In Hindi | राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में
विनियोग:
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः ।
श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।
अथ ध्यानम्:
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
Bhavishya Malika के अनुसार 2022-2027 बिच होगा महाविनाश
Bhavishya Malika: वर्तमान में संत अच्युतानंदास महाराज की पुरानी उड़िया भाषा में लिखे गए ग्रंथ “भविष्य मालिका”की कुछ भविष्यवाणियां वायरल हो रही हैं। भविष्य मालिका को ओडिशा के महान संत अच्युतानंदास और पंचसखा ने लिखा है।
ध्यान रहे, वैसे तो दुनिया में भविष्य बताने वाले कई ग्रंथ हैं, लेकिन उनकी तुलना में भविष्य मालिका सबसे सटीक है क्योंकि इसके सही होने का प्रमाण हमें लगातार दुनियाभर में घट रही घटनाओं से मिल रहा है। उन्होंने इन भविष्यवाणियों को ताड़ के पत्रों पर लिखा था। इस समय उनकी लिखी भविष्यवाणियां वायरल हो रही हैं।
भविष्य मलिका क्या है ? | What Is Bhavishya Malika
आज से लगभग 500 साल पहले, यानी सोलहवीं सदी में उड़ीसा में पांच महान संत हुए थे, जिनके नाम हैं संत अच्युतानंद दास,संत अनंत दास, संत जसोबंता दास, संत जगन्नाथ दास और संत बलराम दास। इन समकालीन संतों को “पंचसखा” नाम से जाना जाता है। इन पांचों संतों ने उड़ीसा की वैष्णव परंपरा में आध्यात्मिक साहित्य और दर्शन शास्त्र को एक नया रूप दिया।
इन्हीं संतों में से एक संत अच्युतानंद के पास भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों को देख लेने की अद्भुत शक्ति थी। इन्हीं संतों ने भविष्य मालिका की रचना ताड़ के पत्रों पर की थी। भविष्य मालिका ग्रंथ में कई बड़ी भविष्यवाणियां हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भविष्य के विषय पर 318 पुस्तकें संत अच्युतानंद दास ने लिखी हैं।
भविष्य मलिका की भविष्यवाणिया
भविष्य मालिका में कलयुग के अंतिम कालखंड और युग बदलने को लेकर अनेक सटीक भविष्यवाणियां की गई हैं, जो आज के समय से संबंधित हैं। सबसे पहले होगा कलयुग का अंत, महाविनाश, तीसरा विश्व युद्ध और कल्कि अवतार।
भविष्य मलिका में कलयुग का अंत, महाविनाश, प्राकृतिक आपदा और विश्व युद्ध को लेकर कुछ लक्षण दिए है जिससे हमें मलिका के भविष्यवनियो का सत्यता और सटीकता का अंदाजा आजायेगा।
1. कलयुग के अंत के लक्षण
संत अच्युतानंद दास ने कलयुग के अंत के लक्षणों को भविष्य मलिका के भविष्यवाणियों में काफी विस्तार से लिखा है जैसे
सामजिक अस्तिरता, धर्म का नाश, अधर्म का स्वीकार, भ्रष्टाचार इ
कलयुग के अंत के कुछ लक्षण निम्नलिखित है :
लोग ईश्वर को भूल जाएंगे और उनके खिलाफ बोलना शुरू कर देंगे संसार में धर्म को मानने वाले लोग बहुत कम रह जाएंगे।
समाज में बड़ो और अध्यापकों का सम्मान खत्म हो जाएगा धर्मगुरु और बाबा लोक लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करेंगे फर्जी बाबाओं के हाथों लोगों को ठगे जाने की घटनाएं भी आम होती जायेंगी।
लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूल जाएंगे पुराने ज्ञान को महत्व नहीं देंगे।
लोग भ्रष्टाचार और अपराध के रास्ते धन कमाएंगे भ्रष्टाचार के मामले सामने आएंगे।
अपराधी खुलेआम खतरनाक हथियार लेकर घूमेंगे और इसका इस्तेमाल भी करेंगे।
स्त्री और पुरुष दोनों अनैतिक संबंध और व्यभिचार को अपनाने लगेंगे।
कलयुग के अंत से थोड़ा पहले खाने के सामान की कमी, बीमारियां, दुर्घटनाएं बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से लोगों में असंतोष फैलेगा और कुछ जगह लोग सरकार के खिलाफ बगावत कर देंगे।
2. महाविनाश के लक्षण
भविष्य मलिका के मुताबिक, जब किसान खेती के काम में रुचि लेना बंद कर देंगे और जंगली जानवर गांव और शहरों पर हमला शुरू कर देंगे, तब समझ लेना चाहिए कि वहां महाविनाश निकट है। ऐसे बहुत से लोग जानते होंगे कि जब भूकंप या कोई और बड़ी प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, तो उसका सबसे पहले जानवरों को आभास हो जाता है।
कुछ महाविनाश के लक्षण निम्नलिखित है :
किसान बारिश से निराश हो जाएंगे और खेती का काम करना छोडने लगेंगे।
सूरज अपनी परोपकार का छोड़ देगा और दुनिया भर में गर्मी बढ़ जाएगी।
साइक्लोन की हवाएं बर्बादी फैलायगी और लोग तेज हवाओं की आवाज से ही डर जाएंगे।
जंगली जानवर और सांप जंगल छोड़कर गांवों और शहरों में घरों पर हमला करेंगे।
भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा तथा मदिर का झंडा कई बार गिरेगा।
जगन्नाथ पुरी मंदिर का बड़ा पत्थर गिरेगा मंदिर का झंडा भी कई बार गिरेगा त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है उसमें आग लग जाएगी मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी।
उड़ीसा में पुरी के आखिरी राजा का नाम गजपति महाराज होंगे।
उड़ीसा में तूफान आएगा पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ टूट जाएगा इसके बाद दुनिया में लोगों के मरने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
भारत का आखिरी राजा यानि पंतप्रधान एक शक्तिशाली हिंदू शासक होगा।
नई नई बीमारियां फैलेगी और उनका डॉक्टर के पास भी कोई इलाज नहीं होगा महामारियो की वजह से लाखों की तादाद में लोग अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे, लोग अंतिम संस्कार करते करते थक जाएंगे और कई शव तो घर में ही पड़े रह जाएंगे दुनिया भर के लोगों का दिमाग अशांत रहेगा दवाइयों से महामारी रोकने की बजाय और बढ़ जाएंगी।
3. प्राकृतिक आपदा 2022 से 2027 बीच मचायेंगी तबाही
दुनिया में अनेको भागो में प्राकृतिक आपदा तबाही मचाते दिखाई देंगी। कई देशो में बड़े बड़े भुकंप आएंगे तो कही जानलेवा बहाड़। कही बहुत ज्यादा बारिश होंगी तो कही भयंकर सुखा गिरेगा जिससे लोग पानि के लिए तरस जायेंगे। मोसम का चक्र पुरी तरह बदल जाएगा जिससे धरती पर बहुत ज्यादा गर्मी बड जाएगी।
कुछ प्राकृतिक आपदा निम्नलिखित है:
साल 2022 से 2027 तक प्राकृतिक आपदाएं भारत समेत दुनियाभर के लोग झेलेंगे वह अप्रत्याशित और खतरनाक होगा।
धरती का तापमान बढ़ जाएगा और गर्मी इतनी पड़ेगी कि कई लोगों की जान चली जाएगी 2023 दुनिया में आज तक का सबसे गर्म साल होगा।
धरती के कई ग्लेशियर टूट जाएंगे, ध्रुवों पर जमी बर्फ तेजी से पिघलेगी।
दुनियाभर में नदियों का पानी कम होने और जमीन के नीचे का पानी कम हो जाने से पीने के पानी की कमी होगी खेती का नुकसान होगा।
धरती का मौसम चक्र बेहद खतरनाक तरीके से बदल जाएगा ऋतु चक्र का ज्ञान इंसानों के किसी काम नहीं आएगा।
दुनिया के कई शहरों और गांवों में बाढ़ से बर्बादी होगी।
जल प्रलय की वजह से जंगली जानवर गांवों और शहरों में घुस आएंगे इस वजह से कई लोगों की मृत्यु हो जाएगी।
समुद्र के आगे बढ़ने से दुनियाभर में तटवर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की जान को खतरा बनेगा और कई तटीय इलाकों की जमीन समुद्र में विलीन हो जाएगी।
साल 2023 में धरती पर कई बड़े भूकंप आएंगे जो त्रासदी का रूप ले लेंगे यह भूकंप जनवरी के महीने से ही आने शुरू हो जाएंगे और दिसंबर के महीने तक लगातार चलते रहेंगे ।
भूकंप की वजह से जानमाल का बड़ा नुकसान देखने को मिलेगा।
दुनिया भर में कई चक्रवाती तूफान आएंगे यह तूफान पहले के किसी भी साल की तुलना में न केवल तेज होंगे बल्कि इनकी संख्या भी ज्यादा होगी।
दुनिया के कई छोटे-बड़े जंगलों में आग लग जाएगी यह आग इतनी भीषण होगी कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा दुनिया भर के जंगलों में हर साल भीषण आग लगने की घटनाएं आम होती जाएंगी।
4. तीसरे विश्व युद्ध की शुरुवात
जब धीरे-धीरे कर दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं बड जाएँगी, तो दूसरी ओर शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर हो जाएगी तीसरे विश्व युद्ध की शुरुवात। तीसरे विश्व युद्ध की नीव 2022 में ही रखी जाएगी और 2025 में भीषण युद्ध में तब्दील हो जाएगी।
यह टकराव महाशक्तिशाली देशो के बिच होगा यह विश्वयुद्ध 6 साल 6 महीने चलेगा। इससे दुनिया दो भागो में बट जाएगी। भारत इस तीसरे विश्वयुद्ध अखरिके 13 महीने बाद शामिल होगा और भीषण युद्ध करेगा।
भविष्य मलिका के अनुसार वर्चव, धार्मिक कटरता, भुखमरी और खाद्य पदार्थो का अभाव इस युद्ध का कारण होगा। इस युद्ध में परमाणु हत्यारों का इस्तेमाल होगा, इस वजह से धरती पर ज्यादातर लोगों की मौत होगी और कुछ ही लोग बच पाएँगे।
5. आसमान में दिखेंगे दो सूरज
आसमान में दो सूरज जैसा आभास होगा। एक तो सूरज होगा और दूसरा कोई और आसमानी चमकती वस्तु होगी। यह चमकती वस्तु कोई छोटा उल्कापिंड या फिर धूमकेतु हो सकती है। भविष्य मलिका के मुताबिक यह धूमकेतु तब गिरेगा जब भारत में युद्ध चल रहा होगा।
धरती पर उल्कापिंड एक भयावह घटना होगी, जब यह उल्कापिंड दिन के समय में हिंद महासागर बंगाल की खाड़ी में गिरेगा। इससे एक बड़ी सुनामी आएगी और सुनामी में ओड़िसा के 6 जिले जलमग्न हो जाएंगे।
6. भगवन जगन्नाथ जायँगे छतिया बाटा
सुनामी के कारण पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर की बाविस्वी सीडी तक पानी आ जाएगा। इस पानी में समुद्री मछलियां भी होंगी और ये लहरें श्री मंदिर के नील चक्र के ऊपर से निकल जाएँगी। इसलिए उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ को उनके भक्तजन पूरी से जाजपुर जिले में कटक से 30 किलोमीटर दूर छतिया बाटा ले जाएँगे।
7. चीन और 13 इस्लामिक देशो का भारत पर होंगा हमला
भविष्य मलिका में कहा गया है जब शनि मीन राशी में प्रवेश उसी समय दुनिया तीसरे विश्व युद्ध का महाविनाश देखेगी। 29 मार्च 2025 से 23 फरवरी 2028 तक कभी मार्गी और कभी वक्री होकर शनि मीन राशि में रहेंगे, इसी समय में भारत विश्व युद्ध में शामिल हो जाएगा। इस युद्ध का मुख्य कारण होगा भारत को लुटनेकी साजिस।
जब भारत धार्मिक अतरिक समस्या से जुज रहा होगा और तब भारत में मिलिट्री शासन लगा होगा तभी चीन और पाकिस्तान अपने देश की हालत सुधारने के लिए भारत पर हमले की योजना बनायेंगे। चीन हमेशा की तरह खतरनाक साजिश रचेगा और पाकिस्तान सहित अन्य 13 इस्लामिक देश को धार्मिक आधारपर भारत के विरोध में लाने में सफल हो जाएगा।
भारत कुल 13 महीने महायुद्ध लड़ेगा, जब पाकिस्तान समेत 13 इस्लामिक देश और चीन भारत पर हमला करेंगे। शुरुवात में इन देशो को सफलता मिलेगी जिससे भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा दुश्मन के अधिकार में चला जाएगा। इस युद्ध के दरम्यान भारत के कई शहरोपर परमाणु हमले किए जाएगे, लेकिन भारत कुछ भीषण हमलेसे बच जाएगा यह एक गुप्त रहस्य है, इसलिए इसे मे और आप कोई नहीं जान सकता।
लेकिन भारत की सेना सटीक रणनीति के तहत बहुत ही शीघ्र दुश्मन देशो पर शक्तिशाली विस्पोटक भयानक प्रति हल्ला करेगा। जिससे दुश्मन देशो में हाहाकर मच जाएगा और वह केवल एक दुसरेके भरोसे ही रह जाएगे और इस तरह अंततः भारत इस युद्ध को जीत लेगा। न केवल युद्ध जीत लेगा बल्कि अखंड भारत भी एक हकीकत बनेगा।
चीन के कई तुकडे हो जायेंगे और बचे 12 इस्लामिक देश अपना अस्तित्वा खो देंगे। वह भारत के आगे सरेडर कर देगे और बचा पाकिस्तान हर बार की तरह भारत के आगे माफ़ी मागेगा और भारत में शामिल होनेकी माग करेगा। इस तरह पाकिस्तान का नामो निशान मिट जाएगा और वह अखंड भारत का हिस्सा बनेगा।
भारत पहले 5 साल 5 महीने तक तीसरे विश्वयुद्ध में शामिल नहीं होगा जब भारत पर हमला होगा तब अखरिके 13 महीने के बाद बाद भारत को युद्ध में शामिल होना ही होंगा। इसी समय भारत में मिलिट्री शासन लगेगा।
8. भगवान कल्कि अवतार और युद्ध विराम
भारत पर हुए हमले से लोग परेशान हो जाएँगे और दुश्मन सेना चारो वोर से भारत को और जगनाथ पुरी को घेर लेंगी। इसी समय भारत में गृहयुद्ध अपने चरन पर पहोच जाएगा और भारत में सैन्य शासन ( मार्शल लॉ ) लगेगा। दुश्मन सेना राम मंदिर और बंगाल का काली मंदिर पर हमला करेंगे इस हमले मे राम मदिर को काफी नुकसान होंगा।
लोग भगवान से इस हमले से बचने की गुहार लगाएँगे। तब एक नया मोड़ आएगा और भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि सभी के सामने आएँगे। दुश्मनों पर कल्कि भगवान कहर बनकर टूट पडेगे इससे दुश्मनों में खलबली मच जाएगी वे एक दुसरे के भरोसे ही रह जाएंगे।
भारतीय सैनिक दुश्मनोके घर में घुसकर मारेगी। इस तरह भारत युद्ध विजयी हो जाएगा। भविष्य मलिका की भविष्यवाणी के अनुसार कल्कि अवतार जन्म हो चुका है और वह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर है।
9. अखंड भारत और युग परिवर्तन
विश्व युद्ध के बाद सीमाए बदल जाने की वजह से दुनिया में कुल 111 देश ही होंगे और विश्व की आबादी केवल 60 करोड़ रह जाएगी। बाकि बचे लोग संतान धर्म का स्वीकार कर लेगे। भारत इन सभी देशों को नए युग में ले जाएगा और विश्व का नेतृत्व भी करेगा। अखंड भारत की शासन व्यवस्था अलग होगी और लोकतंत्र से भी उत्तम व्यवस्था कायम होगी और पुरे विश्व में केवल एक ही धर्म होंगा सनातन धर्म।
10. भारत का आखिरी राजा एक हिंदू शासक होंगा
मालिका के मुताबिक ओडिशा में पूरी के आखरी राजा गजपति महाराज होंगे और वही समयकाल भारत के आखिरी राजा यानि प्रधानमंत्री का भी होगा। यानी भारत के आखिरी पीएम को भी इसी समय काल में होना है। भारत का आखरी राजा एक शक्तिशाली हिंदू शासक, योगी पुरूष होंगा और उसकी कोई संतान नहीं होगी।
तो दोस्तों आपको क्या लगता है भविष्य मलिका की भविष्यवाणी कितनी सच साबित हो रही है और यह कितिनी सटीक है। बात की जाए इसकी भविष्यवाणी की सटीकता की, तो 500 साल पाहिले कोण बता सकता था पाकिस्तान नाम का भी कोई देश अस्तित्व में आयेगा और इतने इस्लामिक देश होंगे। इसको मानना न मानना यह आप पर निर्भर करता है।
3. एक महापुरुष भारत में लेगा जन्म Nostradamus के भविष्यवाणी के मुताबिक:
“एक महापुरुष एक ऐसे देश में जन्म लेगा जो तिन तरफ से महासागर से घेरा हुआ होगा तथा उस देश का नाम एक सागर के नाम पर होगा और पहले लोक उससे नफरत करेगे फिर बादमे सब उसका स्वीकार करेंगे और वही महापुरुष दुनिया में शांति स्थापित करेगा।”
हम सभी को पता है india ही ऐसा है जो तीनो वोर से महासागर से घेरा हुआ है। लेकिन Nostradamus ने इसकी कोई सटीक तारिक नहीं बताई है, तो इसलिए यह भविष्यवाणी कब सच साबित होंगी और वो महापुरुष कोण हो सकता है कमेंट करे।
Nostradamus की World War 3 लेकर भविष्यवाणीNostradamus के मुताबिक तीसरे महायुद्ध आस्तिक और नास्तिक के बिच होगा यानि भगवान को मानने वाले और न मानेवाले यह युद्ध की स्थिति सन 2012 से 2025 के बीच में कभी भी हो सकता है। तृतीय विश्व युद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निभाएगा और सभी देश उसकी सहायता के लिए आतुर रहेंगे और प्रतीक्षा करेंगे।
Nostradamus ने World War 3 के लिए क्या लिखा है?
“सात महीने विश्वयुद्ध लड़ा जाएगा और बुरे काम करने वाले मारे जाएगे धर्म बाटेगा लोगों को काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे फिर रक्तपात होगा बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी। “
जब तृतीय युद्ध चल रहा होगा उस दोरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तभाही और मौत का मंजर होगा ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। चीन अरब की सैन्य के साथ मिलकर फ़्रांस तक हमला करेगी तथा स्पेन पर भी हमला किया जाएगा।
फ़्रांस, स्पेन और इटली बुरी तरह हार जायेंगे और फिर पूर्वी हमलावर यूरोप पर भारी बमबारी करेंगे, पूरा यूरोप कीटाणु हमले का शिकार होगा।
लेकिन ये कब होगा इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है। बस इसको डिकोड कर लिया गया है उसके आधार पर इन भविष्यवनियो को लोगो के सामने प्रस्तुत किया जाता आता है, परंतु कई भविष्यवानिया गलत भी साभित हुई है।
Nostradamus की गलत साबित हो चुकी भविष्यवानिया
नास्त्रेदमस की कई बड़ी बड़ी भविष्यवाणी गलत भी साबित हुई है, उन्होंने साल 1999 में दुनिया खत्म हो जाएगी ऐसा लिख था। जिस कारण दुनिया के लोग इससे बचने की कोशिश करने लगे थे और क्या-क्या बना दिया था लोगों ने लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं फिर साल 2012 में जो महा प्रलय आने वाला था वो भी भविष्य वाणी गलत साबित हुई।
ईश्वर कैसा है,कहाँ रहता है,उसका रंग कैसा है,कोई उसका रूप या हुलिया तो बताइये?जब तक इन बातों का ज्ञान न हो जाय,तब तक अपने प्रियतम को कैसे पहचाने?कैसे समझे कि हम किसके दर्शन कर रहे हैं या हमें दर्शन हो गए?याज्ञवल्क्य ने एक बार गार्गी से कहा था-“ब्रह्म के जाननेवाले उसे अक्षर,अविनाशी,कूटस्थ कहते हैं।वह न…
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Badrinath finds mention in the first chapter of second skanda of ‘Skanda Purana’.
The 57th shloka says, “The Ashram of lord Narayan was called ‘Muktipada’ in Satyuga, ‘Yogasiddha’ in Treta, ‘Vishal’ in Dwapar and ‘Badrikaashram’ in Kaliyug.”
In Vaman Purana, sage Pulastya says that ‘Dharma’ the divine body, manifested from the heart of Lord Brahma and married to ‘Murti’, daughter of Daksh. She gave birth to 4 sons, 2 of them being Nar and Narayan. Nar and Narayan reached Badrinath and performed penance.
It is believed that this is the same place where Ved Vyas compiled the Vedas and wrote Purans assisted by Bhagwan Ganesh. In Dwapar, Pandavas along with Draupadi too visited here when they were on their ascent to heaven (Swargarohini yatra).
According to Hindu scriptures, Bhakt Narad got salvation in Badrinath and the sages like Gautam, Kashyap and Kapil, who was himself the incarnation of lord Vishnu…
Ayodhya founded by Manu, in Atharva Veda called City of the Gods, capital of solar dynasty and Ikshvakus, Sarayu great river in Rigveda.
Ayodhyā (Hindi: अयोध्या) is an ancient city of India, the old capital of Awadh, in the current Faizabad district of Uttar Pradesh. Ayodhya is the birth place of Hindu God Shri Ram, and the capital of Kosala Kingdom. This Hindu holy city is described as early as in the Hindu Epics. During the time of Gautama Buddha the city was called Ayojjhā (Pali). Under Muslim rule, it was the seat of the governor of Awadh, and later during the British Raj the city was known as Ajodhya or Ajodhia and was part of the United Provinces of Agra and Oudh, it was also the seat of a small ‘talukdari’ state. It is on the right bank of the river Sarayu, 555 km east…
In the Third Chapter, the Sadhanas or the means of knowledge relating to Para Vidya (higher knowledge) and Apara Vidya (lower knowledge) were discussed. The Fourth Chapter treats of Phala or the Supreme Bliss of attainment of Brahman. Other topics also are dealt with in it. In the beginning, however, a separate discussion concerned with the means of knowledge is dealt with in a few Adhikaranas. The remainder of the previous discussion about Sadhanas is continued in the beginning. As the main topic of this Chapter is that of the results or fruits of Brahma Vidya, it is called Phala Adhyaya.
SYNOPSIS
Adhikarana I: (Sutras 1-2) The meditation on the Atman enjoined by scripture is not an act to be accomplished once only, but is to be repeated again and again till knowledge is attained.
Adhikarana II: (Sutra 3) The meditator engaged in meditation on…