Bharat during Ramayan era.

HINDUISM AND SANATAN DHARMA

* #श्रीराम #का #कूटनीतिज्ञ #स्वरूप *

प्रायः ये जनप्रवृत्ति रही है कि श्रीराम को सरल , करुणावत्सल और मर्यादारक्षक व्यक्तित्व के रूप में देखा गया जो सदैव सामाजिक और राजनैतिक मर्यादाओं की रक्षा करते हैं जबकि श्रीकृष्ण को एक चतुर , कूटनीतिज्ञ और लीलाधर के रूप में देखा गया जो धर्मस्थापना के लिये साध्य साधन औचित्य की किसी मर्यादा को मानने के लिये तैयार नहीं हैं । इसी तुलना के चलते भावुक भक्तों द्वारा चौदह और सोलह कलाओं जैसी अवधारणायें दी गयीं जबकि वास्तविकता यह है कि श्रीराम भी उतने ही घोर राजमर्मज्ञ थे जितने श्रीकृष्ण । अंतर केवल छवि का है । श्रीराम की सरल छवि के नीचे उनका धुर राजनीतिज्ञ रूप आच्छादित हो गया है जबकि श्रीकृष्ण की चपल छवि के कारण उनका कूटनीतिज्ञ रूप जनमानस में स्थापित हो गया है ।

एक वास्तविकता यह भी है कि श्रीराम और श्रीकृष्ण दोंनों की कूटनीतिक और रणनैतिक कार्यशैली एक…

View original post 2,039 more words

Author: Sanatan Dharm and Hinduism

My job is to remind people of their roots. There is no black,white any religion in spiritual science. It is ohm tat sat.

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: