यदि आप 19 वि सदी में यूरोप में किसी आदमी से मानव विकास के बारे में पूछते तो वो यही जवाब देता की हम आदम और हव्वा की संताने है ,यही कहानी मुस्लमान भी आपको बताते और यहूदी भी।
आज जब Evolution का सिधांत सामने आया है फिर भी कई लोग आदम और हव्वा की कहानी पर विश्वास रखते है जो की केवल एक मनघडंत कहानी है।
विग्यानुसार मनुष्य केवल एक स्त्री पुरुष से नहीं आ सकता कम से कम आदिमानवो 10 हज़ार की संताने है आज के मनुष्य।
यदि हम आदम और हव्वा की संतान होते तो अपने भाई बहन से शादी कर हम अपना DNA नस्त कर कबके विलुप्त हो गए होते।
चलिए जरा आदम और हव्वा की कहानी पर गौर फरमाते है साथ ही इसके साथ उठते सवालो के जवाब भी देंगे।
आदम और हव्वा की कहानी शुरू होती है इसराइल के देवता Yehweh की दुनिया की रचना के बाद ।इश्वर पृथ्वी पर ‘Eden Garden ‘ नाम का बाग़ बनाते है जिसे चार नदिया बाटती वे नदिया है टिगरिस ,यूफ्रातेस,पिशों और गिहों।
आज टिगरिस और यूफ्रातेस का अस्तित्व है। ये दोनों नदिया आज के इराक में बहती है बाकि दोनों नदिया आजतक नहीं मिली।
यही वजह है की विदेशी जो इसाई, म्मुसलमन और यहूदी है वे इराक को ही सबसे पुराणी सभ्यता बनते है इस सच्चाई को नकार की भारतीय सभ्यता सबसे पुराणी है।
यहाँ इश्वर आदम को बनाते है फिर उसकी फस्लियो से हव्वा को। इश्वर इस दुनिया के हर प्राणी को आदम के पास लाता है और उनका नामकरण करने कहता है।
कम्करण केबाद इश्वर आदम को कहता है की अब से ये बाग़ तुम्हारा तुम कौनसा भी फल खा सकते हो और किसी भी जानवर का मास खा सकते हो पर याद रखना की ज्ञान के फल वाले पेड़ का फल न खाना वरना तुम अमृतवा खो दोंगे साथ ही अच्व्हे बुरे की समाज पा लोंगे जिस कारन तुम इस बाग़ में नहीं रह पोंगे।
बाइबिल,कुरान और तोर्रें में साफ़ लिखा है की इश्वर दर गया की फल खाने के बाद वह सब जान जायेंगा और इश्वर की जगह ले लेंगा इसीलिए इश्वर आदम को फल खाने से रोकता है।
ऐसे ही कई दिन बिट गए ।एक साप जो की सैतान था वो हव्वा को अपनी बातो में फसा लेता की फल खालो ।
यहाँ भी लिखा है की केवल औरत जात ही है जो दुसरो की बातो में फसती है।पुरुष कभी नहीं फास्ता।
सैतान की बात मान हव्वा फल खा लेती है और उसकी देख हव्वा भी ।
हव्वा को इस बात के लिए खूब कोस जाता है और इस दुनिया में बुरे लाने वाली खा जाता है।
यह बात जान की आदम ने फल खा लिया इश्वर उन दोनों को बाग़ से निकल देता है।
अब आदम और हव्वा अमृतवा खोने के करे इश्वर से गुहार लगते है।
तरस खाकर इश्वर कहता है की मेरा बेटा मानव बन जन्म लेगा जो तुम्हारे कास्ट दूर करेगा ।
इसाई उस बेटे को ईसा कहते है ,मुस्लमान उसे मुहम्मद और यहूदी उसे मूसा कहते है।
अब इससे कई प्रस्न आते है ।
प्र 1 यदि Yehweh जानता था की आदम फल खायेंग तो अनर्थ हो जायेंगा तो ऐसा पेड बनाया ही क्यों और बनाया तो उसे उस बाग़ में क्यों लगाया ?
उ . क्युकी नहीं Yehweh था या कोई और ये केवल एक मंघदत कहानी है।
प्र 2 यदि फल खाने के बाद ही मानव में समझ आती तो मानव कैसे जीवित था।
उ . ये केवल बकवास है।
प्र 3 यदि हव्वा या औरत दुसरो की बातो में जल्दी फस जाती है और आदम या मर्द नहीं तो हव्वा के पीछे आदम ने भी फल क्यों खाया।
उ. ये झूठ है की केवल औरत ही दुसरो की बातो में जल्दी फसती है ताकि औरतो को दबाकर रखा जाये आपने हाथो के निचे।
प्र 4 यदि वो इश्वर का बेटा ईसा, मुहम्मद या मूसा है तो अबतक लोग अमर क्यों नहीं हुए और उनके कस्त क्यों दूर नहीं हुए।
उ. क्युकी ये सब झूठ है।
प्र5 यदि हव्वा ने फल खा कर मानव को ज्ञान और समझ दी तो उसे पहला पैगम्बर कहना चाहिए न ही आदम को ?
उ. ये धर्म केवल पुरुष प्रधान है इसीलिए ये उमीद छोड़ दो।
ये थी मानव विकास की झूठी कहानी जो की केवल अन्धविश्वास है ताकि लोगो को मस्सिहा का झासा दे उनसे मन चाह काम कराया जाये।
जय माँ भारती