
इराक में प्राप्त धनुर्धारी #श्रीराम और #हनुमान की प्रतिमा वर्षों से #पुरातत्त्ववेत्ताओं और #इतिहासकारों को आकृष्ट कर रही है। इस प्रतिमा का एक बड़ा चित्र #सुलयमानियाम्यूजियम (सलीम स्ट्रीट, सुलयमालिया) में प्रदर्शित है और आकर्षण का केन्द्र है। विदेशी पुरातत्त्ववेत्ताओं ने इस प्रतिमा को #अक्कडियनसाम्राज्य (2334-2154 ई.पू.) के सुमेरियन शासकों से सम्बद्ध किया है, लेकिन एक दृष्टि में यह श्रीराम और हनुमान ही प्रतीत होते हैं। यह प्रतिमा #बृहत्तर_भारत और #सुमेर के गहरे राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों का पुष्ट प्रमाण है।
यह कोई कवि-कल्पना नहीं है कि एक समय पूरे विश्व में हिन्दुओं का साम्राज्य और शासन था। यही कारण है कि आए दिन पुरातत्त्ववेत्ताओं को #पश्चिमीएशिया, #दक्षिणअमेरिका, #रूस, #ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिन्दू देवी-देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं, उत्खनन में प्राप्त हो रही
लगभग 1×1 मीटर आकार की यह विख्यात प्रतिमा #इराकईरान सीमा पर स्थित #कुर्दिस्तान जिले के सुलयमानिया नगर के दक्षिण-पश्चिम में #बेलुलादर्रे में ‘होरेन शेखान’ क्षेत्र के ‘दरबन्द-ए-बेुलला’ की चट्टान पर उत्कीर्ण है। इसका निर्देशांक 34°52’3.61″N, 45°44’2.77″E है।
जाने-माने ब्रिटिश_पुरातत्त्ववेत्ता सर चार्ल्स लिओनार्ड वूली (1880-1960) ने इराक के ‘उर’ क्षेत्र के उत्खनन के दौरान इस प्रतिमा का पता लगाया था।
By Mamta Yas