Ashoka and Akbar were not great!! 

कभी आपने सोचा है कि इस धरती की सबसे प्राचीन हिन्दू सभ्यता, जिसने असंख्य बर्बर आक्रमणों के बाद भी दस हजार वर्षों से अपना अस्तित्व बरकरार रखा है, वह पिछले डेढ़ सौ वर्षों से क्यों लगातार सिमटती जा रही है?**असल में पिछले डेढ़ सौ बर्षों से, पहले तो अंग्रेजी सत्ता और बाद में उसके भारतीय संस्करण ने हमारे दिमाग को झूठी धर्म निरपेक्षता के नाम पर कुछ इस तरह कुंद कर दिया है, कि हमको अपना धर्म दीखता ही नही है।*

*पूरी दुनिया में सिर्फ भारत के हिन्दू ही ऐसे हैं जिनके लिए धर्म सबसे अंतिम मुद्दा है।*

*हमारी सोच को किस तरह से कैद किया गया है इसकी बानगी देखनी हो तो आप कभी अपने बच्चे से पूछ कर देखिये, कि भारत का सबसे महान सम्राट कौन था। वह तपाक से जवाब देगा- सम्राट अकबर, या सम्राट अशोक।*

*बच्चे को छोड़िये, क्या हमने कभी सोचा है कि सिर्फ अपनी जिद के लिए कलिंग के छः साल से अधिक उम्र के सभी पुरुषों की हत्या करवा देने वाला अशोक सिर्फ हिन्दू धर्म को ठुकरा कर बौद्ध अपना लेने भर से महान कैसे हो गया?*

*इतिहास के पन्ने खोल कर देखिये, कलिंग युद्ध के बाद वहां अगले पंद्रह साल तक महिलाएं हल चलाती रहीं क्योकि कोई पुरुष बचा ही नहीं था। लेकिन सिर्फ बौद्ध धर्म अपना लेने भर से अशोक हमारे लिए महान हो गया।*

हमारी महानता विक्रमादित्य से है जिसने भारत की धरती पर पहली बार बड़ा साम्राज्य स्थापित किया

*अपने एक आक्रमण में लाखों हिंदुओं को काट कर रख देने वाले बर्बर हूणों को अपने बाहुबल से रोकने वाला स्कन्दगुप्त हमारे लिए महान था।

*अपनी वीरता से बर्बर अरबों को भारत में घुसने की आदत छुड़ा देने वाले नागभट्ट का हम नाम नहीं जानते।*

*हमें कभी बताया ही नहीं गया कि इस देश में पुष्यमित्र सुंग नाम का भी एक शासक हुआ था जिसने भारत में भारत को स्थापित किया था, वह नही होता तो सनातन धर्म आज से दो हजार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता।*

*हम अकबर को सिर्फ इस लिए महान कह देते हैं कि देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी पर अत्याचार करने के मामले में वह अपने पूर्वजों से थोड़ा कम बर्बर था। उसे महान कहते समय हम भूल जाते हैं कि स्वयं साढ़े पांच सौ शादियां करने वाले अकबर ने भी अपने पूर्वजों की परम्परा निभाते हुए अपनी बेटियों और पोतियों की शादी नहीं होने दी थी। वह इतना महान और उदार था कि उस युग के सर्वश्रेष्ठ गायक को भी उसके दरबार में स्थापित होने के लिए अपना धर्म बदल कर मुसलमान बनना पड़ा था।*

*सेकुलरिज्म के नाम पर अकबर को महान बताने वाले हम, उसी अकबर के परपोते दारा शिकोह का नाम तक नहीं जानते जिसने वेदों और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त किया, उनका उर्दू फ़ारसी में अनुवाद कराया, और अपने समय में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगाई।*

*हमारी बुद्धि इस तरह कुंद हो गयी है कि हम अपने नायकों का नाम लेने से भी डरते हैं, कि कहीं कोई हमेंसाम्प्रदायिक न कह दे।*

*आप भारत में ईसाईयों द्वारा चलाये जा रहे स्कूलों के नाम देखिये, निन्यानवे फीसदी स्कूलों के नाम उन जोसफ, पॉल, जोन्स, टेरेसा के नाम पर रखे गए हैं, जिन्होंने जीवन भर गरीबों को फुसला फुसला कर ईसाई बनाने का धंधा चलाया था। पर आपको पूरे देश में एक भी स्कूल उस स्वामी श्रद्धानंद के नाम पर नहीं मिलेगा जिन्होंने धर्मपरिवर्तन के विरुद्ध अभियान छेड़ कर हिंदुओं की घर वापसी करानी शुरू की थी।* *हममें से अधिकांश तो उनका नाम भी नहीं जानते होंगे।*

*ईसाई उत्कोच के बदले अपना ईमान बेच देने वाले स्वघोषित बुद्धिजीवियों और वोट के दलाल राजनीतिज्ञों के साझे षडयंत्र में फँसे हम लोग समझ भी नहीं पाते हैं कि हमारे ऊपर प्रहार किधर से हो रहा है। हम धर्मनिरपेक्षता का राग अलापते रह गए और हमसे बारी बारी मुल्तान, बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब, बंग्लादेश, कश्मीर, आसाम, केरल, नागालैंड, और अब बंगाल भी छीन लिया गया। हम न कुछ समझ पाये, न कुछ कर पाये, बस देखते रह गए।*

*आप तनिक आँख उठा कर देखिये, वर्मा के आतंकवादी रोहिंग्यावों पर हमले होते हैं तो दूर भारत के मुसलमानों को इतना दर्द होता है कि वे भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई में आग बरसा देते हैं। दुनिया के किसी कोने में किसी ईसाई पर हमला होता है तो अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और तमाम ईसाई देश गरज उठते हैं। सबसे कम संख्या वाले यहूदियों में भी इतनी आग है कि कोई उनकी तरफ आँख उठाता है तो वे आँखे निकाल लेते हैं। पर हमारे अपने देश में, अपने लोगों को जलाया जाता है, भगाया जाता है, उजाड़ दिया जाता है पर हम साम्प्रदायिक कहलाने के डर से चूँ तक नहीं करते।*

*बंगाल के दंगे को अगर हम प्रशासनिक चूक भर मानते हैं तो हमसे बड़ा मुर्ख कोई नहीं। बंगाल का आतंक हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर खोजने का सूत्र है कि उत्तर में कश्मीर से, पूर्व में बंगाल-आसाम से और दक्षिण में केरल से चली इस्लामिक तलवार हमारी गर्दन पर कितने दिनों में पहुँचेगी ।*

*श्रीमान, जो सभ्यता अपने नायकों को भूल जाय उसके पतन में देर नहीं लगती। भारत की षड्यंत्रकारी शिक्षा व्यवस्था के जाल से यदि हम जल्दी नहीं निकले, और झूठी धर्मनिरपेक्षता का चोला हमने उतार कर नहीं फेंका तो शायद पचास साल ही काफी होंगे हमारे लिए।*

*भाई साहब, उठिए… इस जाल से निकलने का प्रयास कीजिये, स्वयं को बचाने का प्रयास कीजिये। हम उस आखिरी पीढ़ी से हैं जो प्रतिरोध कर सकती है, हमारे बाद की पीढ़ी इस लायक भी नहीं बचेगी कि प्रतिकार कर सके

ब्राह्मण के साथ भेदभाव, अत्याचार

सवर्णों में एक जाति आती है #ब्राह्मण, जिस पर

सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ, विभिन्न जातियाँ आक्रमण करते आ रहे हैं।

आरोप ये लगे कि ~ब्राह्मणों ने #जाति का बँटवारा किया।

उत्तर – सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो अपौरुषेय है और जिसका संकलन वेद व्यास जी ने किया, जो #मल्लाहिन के गर्भ से उत्पन्न हुए थे।

18 पुराण, महाभारत, गीता सब #व्यास जी रचित है

जिसमें वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था दी गयी है।

रचनाकार व्यास ब्राह्मण जाति से नही थे।

ऐसे ही #कालीदास आदि कई कवि जो वर्णव्यवस्था और जातिव्यवस्था के पक्षधर थे जन्मजात ब्राह्मण नहीं थे।

अब मेरा प्रश्न सभी विरोध करने वालो से—

कोई एक भी ग्रन्थ का नाम बताओ जिसमें जाति

व्यवस्था लिखी गयी हो और उसे ब्राह्मण ने लिखा हो?

शायद एक भी नही मिलेगा। मुझे पता है तुम #मनु स्मृति का ही नाम लोगे, जिसके लेखक मनु महाराज थे, जो कि #क्षत्रिय थे।

मनु स्मृति जिसे आपने कभी पढ़ा ही नही और पढ़ा भी तो टुकड़ों में कुछ श्लोकों को जिसके कहने का प्रयोजन कुछ अन्य होता है और हम समझते अपने विचारानुसार है।

मनु स्मृति पूर्वाग्रह रहित होकर सांगोपांग पढ़े।

छिद्रान्वेषण की अपेक्षा गुणग्राही बनकर पढ़ने पर

स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

अब रही बात ” ब्राह्मणों “ने क्या किया ?तो नीचे पढ़े।

(1)#यन्त्रसर्वस्वम् (इंजीनियरिंग का आदि ग्रन्थ)- भरद्वाज

(2)#वैमानिक शास्त्रम् (विमान बनाने हेतु) – भरद्वाज

(3)#सुश्रुतसंहिता (सर्जरी चिकित्सा)-सुश्रुत

(4)#चरकसंहिता (चिकित्सा)-चरक

(5)#अर्थशास्त्र (जिसमें सैन्यविज्ञान, राजनीति,

युद्धनीति, दण्डविधान, कानून आदि कई महत्वपूर्ण

विषय है)-कौटिल्य

(6)#आर्यभटीयम् (गणित)-आर्यभट्ट

ऐसे ही छन्दशास्त्र, नाट्यशास्त्र, शब्दानुशासन,

परमाणुवाद, खगोल विज्ञान, योगविज्ञान सहित

प्रकृति और मानव कल्याणार्थ समस्त विद्याओं का संचय अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु ब्राह्मणों ने अपना पूरा जीवन भयानक जंगलों में, घोर दरिद्रता में बिताए।

उसके पास दुनियाँ के प्रपंच हेतु समय ही कहाँ शेष था?

कोई बताएगा समस्त विद्याओं में प्रवीण होते हुए भी, सर्वशक्तिमान् होते हुए भी ब्राह्मण ने पृथ्वी का भोग करने हेतु गद्दी स्वीकारा हो?

विदेशी मानसिकता से ग्रसित कुछ विचारको ने गलत तरीके से तथ्य पेश किये। आजादी के बाद #इतिहास संरचना इनके हाथों सौपी गयी और ये विदेश संचालित षड्यन्त्रों के तहत देश मे भ्रम फैलाने लगे।

ब्राह्मण हमेशा ये चाहता रहा कि राष्ट्र शक्तिशाली

हो, अखण्ड हो,न्याय व्यवस्था सुदृढ़ हो।

सर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे सन्तु निरामया:

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:ख भाग्भवेत्।।

का मन्त्र देने वाला ब्राह्मण,वसुधैव कुटुम्बकम् का पालन करने वाला ब्राह्मण, सर्वदा काँधे पर जनेऊ कमर में लंगोटी बाँधे एक गठरी में लेखनी, मसि, पत्ते, कागज और पुस्तक लिए चरैवेति चरैवेति का अनुसरण करता रहा। मन में एक ही भाव था लोक कल्याण।

ऐसा नहीं कि लोक कल्याण हेतु मात्र ब्राह्मणों ने ही काम किया। बहुत सारे ऋषि, मुनि, विद्वान्, महापुरुष अन्य वर्णों के भी हुए जिनका महत् योगदान रहा है।

किन्तु आज ब्राह्मण के विषय में ही इसलिए कह रहा हूँ कि जिस देश की शक्ति के संचार में ब्राह्मणों के त्याग तपस्या का इतना बड़ा योगदान रहा।

जिसने मुगलों यवनों, अंग्रेजों और राक्षसी प्रवृत्ति के लोंगों का भयानक अत्याचार सहकर भी यहाँ की संस्कृति और ज्ञान को बचाए रखा।

वेदों शास्त्रों को जब जलाया जा रहा था तब

ब्राह्मणों ने पूरा का पूरा वेद और शास्त्र #कण्ठस्थ

करके बचा लिया और आज भी वो इसे नई पीढ़ी में संचारित कर रहे है वे सामान्य कैसे हो सकते है?

उन्हे सामान्य जाति का कहकर #आरक्षण के नाम पर सभी सरकारी सुविधाओं से रहित क्यों रखा जाता है ?

ब्राह्मण अपनी रोजी रोटी कैसे चलाये ? ब्राह्मण/

सामान्य वर्ग को देना पड़ता है पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा फीस और सरकारी सारी सुविधाएँ obc, sc, st, अल्पसंख्यक के नाम पर पूँजीपति या गरीब के नाम पर अयोग्य लोंगों को दी जाती है।

मैं अन्य जाति विरोधी नही हूँ लेकिन किसी ने

ब्राह्मण/सामान्य वर्ग से भेद भाव के विरूद्ध अवश्य हूं।

इस देश में गरीबी से नहीं जातियों से लड़ा जाता है। एक ब्राह्मण/सामान्य वर्ग के लिए सरकार कोई रोजगार नही देती कोई सुविधा नही देती।

एक ब्राह्मण बहुत सारे #व्यवसाय नही कर सकता जैसे — पोल्ट्रीफार्म, अण्डा, मांस, मुर्गीपालन, कबूतरपालन, बकरी, गदहा,ऊँट, सूअरपालन, मछलीपालन, जूता,चप्पल, शराब आदि, बैण्डबाजा और विभिन्न जातियों के पैतृक व्यवसाय क्योंकि उसका धर्म एवं समाज दोनों ही इसकी अनुमति नही देते।

ऐसा करने वालों से उनके समाज के लोग सम्बन्ध नहीबनाते।

वो शारीरिक #परिश्रम करके अपना पेट पालना चाहे तो उसे मजदूरी नही मिलती, क्योंकि तमाम लोग ब्राह्मण से सेवा कराना उचित नही समझते है।

हाँ उसे अपना घर छोड़कर दूर मजदूरी, दरवानी आदि करने के लिए जाना पड़ता है। कुछ को मजदूरी मिलती है कुछ को नहीं।

अब सवाल उठता है कि ऐसा हो क्यों रहा है? जिसने संसार के लिए इतनी कठिन तपस्या की उसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों?जिसने शिक्षा को बचाने के लिए सर्वस्व त्याग दिया उसके साथ इतनी भयानक ईर्ष्या क्यों?

मैं बताना चाहूँगा कि ब्राह्मण को किसी जाति विशेष से द्वेष नही होता है। उन्होंने शास्त्रों को जीने का प्रयास किया है अत: जातिगत छुआछूत को पाप मानते है।

मेरा सबसे निवेदन –गलत तथ्यों के आधार पर उन्हें क्यों सताया जा रहा है ?उनके धर्म के प्रतीक शिखा और #यज्ञोपवीत, वेश भूषा का मजाक क्यों बनाया जा रहा हैं ?

#मन्त्रों और पूजा पद्धति का #उपहास क्यों किया जा रहा है ?

विश्व की सबसे समृद्ध और एकमात्र वैज्ञानिक भाषा #संस्कृत को हम भारतीय हेय दृष्टि से क्यों देखते है?

हर युग में ब्राह्मण के साथ #भेदभाव, #अत्याचार होता

आया है आखिर क्यों?

Ancient India and culture all over world

भारत बहुत प्राचीन देश है। विविधताओं से भरे इस देश में आज बहुत से धर्म, संस्कृतियां और लोग हैं। आज हम जैसा भारत देखते हैं अतीत में भारत ऐसा नहीं था भारत बहुत विशाल देश हुआ करता था। ईरान से इंडोनेशिया तक सारा हिन्दुस्थान ही था। समय के साथ-साथ भारत के टुकड़े होते चले गये जिससे भारत की संस्कृति का अलग-अलग जगहों में बटवारां हो गया। हम आपको उन देशों को नाम बतायेंगे जो कभी भारत के हिस्से थे।
ईरान – ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।

कम्बोडिया – प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्दचीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की।


वियतनाम – वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। दूसरी शताब्दी में स्थापित चम्पा भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां के चम लोगों ने भारतीय धर्म, भाषा, सभ्यता ग्रहण की थी। 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अन्त हुआ।


मलेशिया – प्रथम शताब्दी में साहसी भारतीयों ने मलेशिया पहुंचकर वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित करवाया। कालान्तर में मलेशिया में शैव, वैष्णव तथा बौद्ध धर्म का प्रचलन हो गया। 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो यह सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य बना।


इण्डोनेशिया – इण्डोनिशिया किसी समय में भारत का एक सम्पन्न राज्य था। आज इण्डोनेशिया में बाली द्वीप को छोड़कर शेष सभी द्वीपों पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं। फिर भी हिन्दू देवी-देवताओं से यहां का जनमानस आज भी परंपराओं के माधयम से जुड़ा है।


फिलीपींस – फिलीपींस में किसी समय भारतीय संस्कृति का पूर्ण प्रभाव था पर 15 वीं शताब्दी में मुसलमानों ने आक्रमण कर वहां आधिपत्य जमा लिया। आज भी फिलीपींस में कुछ हिन्दू रीति-रिवाज प्रचलित हैं।


अफगानिस्तान – अफगानिस्तान 350 इ.पू. तक भारत का एक अंग था। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे राजनीतिक और बाद में सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग हो गया।


नेपाल – विश्व का एक मात्र हिन्दू राज्य है, जिसका एकीकरण गोरखा राजा ने 1769 ई. में किया था। पूर्व में यह प्राय: भारतीय राज्यों का ही अंग रहा।


भूटान – प्राचीन काल में भूटान भद्र देश के नाम से जाना जाता था। 8 अगस्त 1949 में भारत-भूटान संधि हुई जिससे स्वतंत्र प्रभुता सम्पन्न भूटान की पहचान बनी।


तिब्बत – तिब्बत का उल्लेख हमारे ग्रन्थों में त्रिविष्टप के नाम से आता है। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार चौथी शताब्दी में शुरू हुआ। तिब्बत प्राचीन भारत के सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र में था। भारतीय शासकों की अदूरदर्शिता के कारण चीन ने 1957 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया।


श्रीलंका – श्रीलंका का प्राचीन नाम ताम्रपर्णी था। श्रीलंका भारत का प्रमुख अंग था। 1505 में पुर्तगाली, 1606 में डच और 1795 में अंग्रेजों ने लंका पर अधिकार किया। 1935 ई. में अंग्रेजों ने लंका को भारत से अलग कर दिया।


म्यांमार (बर्मा) – अराकान की अनुश्रुतियों के अनुसार यहां का प्रथम राजा वाराणसी का एक राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजों का बर्मा पर अधिकार हो गया। 1937 में भारत से इसे अलग कर दिया गया।


पाकिस्तान – 15 अगस्त, 1947 के पहले पाकिस्तान भारत का एक अंग था। हालांकि बटवारे के बाद पाकिस्तान में बहुत से हिन्दू मंदिर तोड़ दिये गये हैं, जो बचे भी हैं उनकी हालत बहुत ही जर्जर है। 


बांग्लादेश – बांग्लादेश भी 15 अगस्त 1947 के पहले भारत का अंग था। देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान के रूप में यह भारत से अलग हो गया। 1971 में यह पाकिस्तान से भी अलग हो गया।

Vedic scriptures and culture.


Revealed Vedic scriptures is original knowledge of this world but at present many Indians by believing in Aryan invasion theory, false western theories like Darwin evolution theory which Darwin himself could not prove and still remains challenged, are giving discredit to Vedic Sages. After independence atleast Indians should start believing in their culture & civilization then what western scientists say.

Perhaps Indians are ignorant about Puranic Manvantar history which calculates cyclical time as per 4 Yugas, Mahayugas, Manvantar & Kalpa and which disapproves evolution of humans from Apes which is a western Adamic-Abrahamic concept.

Infact advanced Aryan culture originated from the start of Bramha’s day during स्वयंभुव मनु or मन्वंतर in Northern India known as the land of ब्रम्हावर्त were the Vedic literatures were revealed to the Vedic Sages as is mentioned in Puranic history which are real history and not mythology.

The present 7th विवस्वान मन्वंतर started 120 million years ago and we are living now in 28 महायुग 5110 कलियुग year.

Vedic Aryans were never naked. Man was naked is western concept due to Out of Africa theory or Adamic history popular in West Asia in the dominant religion of Christianity and Islam. Sanatan Vedic Dharma God revealed Vedas to Aryans and God himself descended in various Avatars to protect Dharma from miscreants in various Yugas. So God cannot be created by humans. 

Manu is progenitor of mankind which is संस्कृत word from which english word Man or civilized human or मनुष्य or मानव having evovled mind originated in India known as Caucasoid or Aryan race in India while the Black race people originated in Africa and Mongols originated in East Asia.

Ancient India before buddism and Jainism

महाजनपद :गणराज्य और साम्राज्य

By Aman

भारत में सरस्वती  नदी के सूखने के उपरांत लोग भारत के अनेक इलाको में प्रवास कर बसने लगे।
इनमे अधिकतर गणराज्य या राज्य होता इसीलिए इन्हें महाजनपद कहा गया क्युकी ये लोगो के प्रवास का केंद्र था|
महाजनपद असल में एक बड़े शक्तिशाली राज्य को कहते जो कई छोटे जनपदों को मिलकर बना था ,इसीलिए कई राज्यों ने साम्राज्यवाद अपनाया ताकि खुदके राज्यों को जनपद से उठाकर महाजनपद बना सके और यह उपलब्धि के 16 राज्यों को मिली |
महाजनपद का उल्लेख पहली बार पाणिनि द्वारा किया गया था ,उस वक़्त 22 महाजनपद थे और बाकि के छोटे राज्यों को जनपद कहा गया है।
पर 700 ईसापूर्व के आते आते ये केवल 16 रह गए ।
बोध और जैन में महाजनपदो का उल्लेख है पर बहोत से नाम अलग है।
इनमे मगध,गंधर ,कोसल,काशी और अवन्ती का नाम ही पाया जाता है।
600 ईसापूर्व के आते आते बिम्बिसार और अजातशत्रु  आये जिन्होंने मगध का विस्तार किया और मगध सभी जनपदों में मुख्य बन गया।
इससे पहले यह जगह काशी को प्राप्त थी।
यह वह वक़्त था जब भारत में लहे का उपयोग अधिक बड़ा और संस्कृत में प्रगति हुई।
इसी दौर में वैदिक धर्म दक्मगाने लगा और बोध धर्म का उदय हुआ।
जैन धर्म भी लोगो में काफी प्रशिध हुआ ।
निचे 16 महाजनपदो की सूचि है 700 ईसापूर्व से 300 ईसापूर्व के बिच की।
1. कुरु – मेरठ और थानेश्वर;
राजधानी इन्द्रप्रस्थ और हस्तिनापुर ।

2. पांचाल – बरेली, बदायूं
और फ़र्रुख़ाबाद;
राजधानी अहिच्छत्र तथा
कांपिल्य ।

3. शूरसेन – मथुरा के
आसपास का क्षेत्र;
राजधानी मथुरा।

4. वत्स – इलाहाबाद और
उसके आसपास; राजधानी
कौशांबी ।

5. कोशल – अवध; राजधानी
साकेत और श्रावस्ती ।

6. मल्ल – ज़िला देवरिया;
राजधानी कुशीनगर और
पावा (आधुनिक पडरौना)

7. काशी – वाराणसी;
राजधानी वाराणसी।

8. अंग – भागलपुर; राजधानी
चंपा ।

9. मगध – दक्षिण बिहार,
राजधानी राजगृह और पाटलिपुत्र (नन्द काल में )

10. वृज्जि –
ज़िला दरभंगा और
मुजफ्फरपुर; राजधानी
मिथिला, जनकपुरी और
वैशाली ।

11. चेदि – बुंदेलखंड;
राजधानी शुक्तिमती
(वर्तमान बांदा के पास)।

12. मत्स्य – जयपुर;
राजधानी विराट नगर ।

13. अश्मक – गोदावरी घाटी;
राजधानी पांडन्य ।

14. अवंति – मालवा;
राजधानी उज्जयिनी।

15. गांधार – पाकिस्तान
स्थित पश्चिमोत्तर
क्षेत्र; राजधानी
तक्षशिला ।

16. कंबोज – कदाचित
आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान ;
राजधानी राजापुर।

भारत के सोलह महाजनपद

700 ईसापूर्व के आते आते कई कबीलों की जनसँख्या बड़ी। ये कबीला कृषको के थे। इनमे पंचायत राज चलता था इसीलिए जब ये राज्यों के तौर पर उभरे तो गन संघ या गणराज्य आया।
राज्य से उलट इसमें जनता का राज चलता ।
वैशाली गणराज्यो में मुख्य था।
यूनान से पहले और बेहतर लोकतंत्र भारत में था।
अब बात करते है गणराज्यो और राज्यों या साम्राज्यो की।

गणराज्य  


यूनानी लोकतंत्र या गणराज्य को प्रथम क्यों माना जाता है पता नहीं पर भारतीय गणराज्य यूनान से बेहतर थे।
यूनान में आप केवल राजा चुन सकते थे बस पर भारत में बहोत से कम जनता के इशारो पर होता। बाद में गणराज्य कमजोर पड गए और जनता राज चला गया।
गणराज्यो के प्रमुख को नायक या राजा ही कहा जाता।
इनका काम कर वसूलना था और जनता के लिए सड़क आदि बनवाना था।
बहुत से गणराज्यो में गणराज्य के प्रमुख केवल व्यापारी वर्ग के होते और केवल कर वसूलते।
वैशाली  और कलिंग को छोड़ बाकि गणराज्यो में केवल चुनिन्दा वर्ग के लोग ही संघ का हिस्सा बन सकते थे।
वैशाली  और कलिंग में चारो वर्ण को इज़ाज़त थी।
वैशाली  के संघ में 7707 नायक थे।
ये गणराज्य अधिकतर वैश्य वर्ण के लोगो के थे जो ब्राह्मण द्वारा थोपे गए राजा से मुक्ति और जनता का राज्य चाहते थे |
इनकी सभा बैठती थी और हर मसले पर चर्चा होती |
जो चुंगी या कर ये लेते |
बाद में इन्होने सेना की नियुक्ति शुरू कर दी |
वैशाली या वृज्जी गणसंघ 7 गणराज्य से बना था जिसमे से कुछ के नाम ही प्राप्त है |
इनमे से एक गणराज्य शक्य था जिसकी पूरी जनता ही सेना की तरह निपूर्ण थी |
गणराज्य अपने शिष्टाचार के लिए प्रशिध थे |
अधिकतर गणराज्य या गणसंघ बोद्ध धर्मी थे और वहा बोद्ध के नियम ही चलते |
वृज्जी गणसंघ में प्राणदंड की सजा किसी बड़े अपराध पर ही मिलती |यदि देखे तो वृज्जी के गणराज्यो को छोड़ अधिक गणराज्य में कुछ अलग जी नियम थे |
मालक ,शूद्रक और कलिंग में केवल एक ही व्यक्ति चुना जाता जो राजा कहलाता और राजा की तरह ही काम करता |
वृज्जी गणसंघ ,कलिंग ,मालक ,शूद्रक और अन्य कुछ गणराज्यो की नगर प्रणाली और नगर व्यवस्था बिलकुल सरस्वती सिन्धु सभ्यता जैसी थी जो इस बात का प्रमाण देता है की गणराज्य बसने वाले सिधु घटी के थे और आर्य थे नहीं विदेशी |

आप कुछ समानताये देख सकते है सिन्धु घाटी सभ्यता और महाजनपद के सिक्को में

सम्राट अजातशत्रु के काल में गणराज्यो का पतन शुरू हुआ |सम्राट अजातशत्रु ने 36 गणराज्यो को हराया |
मौर्य काल के आते आते के वल कुछ ही गणराज्य रह गए थे |गुप्त काल में वृज्जी के अंत के साथ भारत में गणराज्यो का अंत हुआ |महराज चन्द्रगुप्त ने वृज्जी की राजकुमारी कुमारदेवी से शादी की जिसके बाद वृज्जी एक प्रांत बनकर रह गया |वृज्जी के साथ रिश्ता काफी फायदे का पड़ा महाराज चन्द्रगुप्त क क्युकी वृज्जी के पास उस वक्त मगध का अधिक भाग था जो महाराज चन्द्रगुप्त को मिला |

साम्राज्य गणराज्य से उलट यहाँ महाराज की चलती ,साम्राज्यवादी लोग गणतांत्रिक राज्य वालो को घृणा की दृष्टी से देखते क्युकी उनके लिए गणराज्य के लोग सिर्फ लोभी होते साथ ही गणराज्यो में बोद्ध धर्म की ऐसी धूम मची की वे अधिक बोद्ध धर्म पलने लगे जिसके उपरांत हिन्दू धर्म वालो के लिए केवल साम्राज्य ही सहारा थे |
गणराज्यो में कला और विज्ञानं का उतना महत्व नहीं था जितना साम्राज्यों में थे इसीलिए जब भी भारत किसी साम्राज्य के अधीन रहता तभी कला और विज्ञान का विकास हुआ |
भारत में कई महान साम्राज्य जुए जैसे मौर्य साम्राज्य ,गुप्त साम्राज्य,शुंग साम्राज्य ,सातवाहन साम्राज्य ,विजयनगर साम्राज्य ,मराठा साम्राज्य  और कई अनेक साम्राज्य हुए |विदेशी साम्राज्यवाद से उलट न्हारत के साम्राज्यों ने नेतिकता  और धर्म का साम्राज्य खड़ा किया |
महाजनपदो कशी शुरुआत में सबसे शक्तिशाली था और कशी ने महाजनपदो में साम्राज्यवाद शुरू किया |
आखिरकार बिम्बिसार के काल में शक्ति मगध के हाथ आई ,बिम्बिसार के बाद उनके बेटे अजातशत्रु आये जिन्होंने 36 गणराज्य जीते \
मगध में कई वंश बदले और फिर आया नन्द वंश जिसके केवल दो ही राजाओ ने मगध की सीमा उत्तर में कश्मीर तक ,पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक ,पश्चिम में यमुना तक और दक्षिण में मध्यप्रदेश तक |

नन्द साम्राज्य
मौर्य साम्राज्य अशोक के शाशन में

नन्द वंश के बाद मौर्य वंश आया जिसने पुरे भरत को एक किया |चन्द्रगुप्त मौर्य पहले सम्राट थे मौर्य वंश के ,उन्होंने मगध की सीमाए अफगानिस्तान तक फैलाई ,उत्तर में आज का पूरा कश्मीर ,नेपाल ,तिब्बत के कुछ भाग थे ,दक्षिण कर्णाटक का मौर्य वंश का द्वाज लहराता था |
बिन्दुसार मौर्य  ने 16 छोटे राज्यों को जीता |बिन्दुसार के बाद उनका छोटा लड़का अशोक मौर्य सम्राट बना जिसने कलिंग जीत अखंड भारत पर राज किया |अशोक मौर्य अपनी शांतिप्रियता के लिए जाना जाता है साथ ही बोद्ध धर्म को बढावा देने की वजह से कई बोद्ध लोगो के लिए वह चहेता है |
अशोक मौर्य की मृत्यु के 50 वर्ष बाद ही मौर्य वंश समाप्त हुआ और भारत कई टुकडो में बत गया जिसे फिरसे गुप्तो ने जोड़ा |
मौर्य वंश के साथ ही महाजनपदो का युग खत्म हुआ ,मौर्य साम्राज्य के बाद सिधु नदी के किनारे कई विदेशी राज्यों ने हमला किया साथ ही भारत में कई छोटे छोटे राज्य बसे ,अब किसी को जनपद से महाजनपद नहीं बनना था क्युकी अब सबको साम्राज्य खड़ा करना था |

Shiva Lingas in Cambodia

Thousands of Lingas and other Vedic deities carved into the river-bed of the Kbal Spean river in Cambodia.
कम्बोडिया की क्बाल स्पिएन नदी के तल में प्राचीन काल में उकेरे गये सैकड़ों शिवलिङ्ग तथा वैदिक देवी-देवताओं की प्रतिमायें॥

The “Indianizers” of Kambuja Desha (modern day Cambodia). Thousands of years ago these men were among the intrepid pioneers who took India’s culture to far away lands. We need to remember their names and be inspired by the great work they did, so that we can reawaken this spirit in our younger generation. These were the great souls who inspired the Vedic culture in ancient Cambodia, which eventually led to the construction of the largest Hindu temple complex in the world: The Angkor Vat temple which was dedicated to Lord Vishnu. This is also the largest religious structure in the world. Remnants of a glorious Hindu past, such as great temples dedicated to Lord Shiva and river-beds in which thousands of Shiva Lingas have been carved, are found all around Cambodia even today.
ये कुछ उन श्रेष्ठ भारतीय महामना धर्मप्रचारकों के नाम की सूची है, जिन्हें शायद हम आज भारत में भूल चुके हैं, लेकिन जिन्होंने प्राचीन काल में सैकड़ों मील दूर की यात्रा करके कम्बुज देश (आधुनिक कम्बोडिया) में वैदिक सनातन धर्म की स्थापना की थी, जिसके परिणाम स्वरूप आज भी हमें कम्बोडिया में जो वैदिक सनातन धर्म से जुड़े ध्वंसावशेष उपलब्ध होते हैं,वे वास्तव में आश्चर्य जनक हैं। कम्बोडिया का ९०० वर्ष प्राचीन विष्णु मन्दिर ‘अंकोर वट’ विश्व का सबसे विशाल हिन्दू मन्दिर ही नहीं, विश्व का सबसे विशाल धार्मिक स्थान है; अन्य कोई भी धर्म इससे विशाल धर्मस्थान न बना पाया। इसके साथ ही भगवान् सदा शिव आदि भारतीय विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित अनेकों विशाल मन्दिरों के ध्वंसावशेष आज भी कम्बोडिया में खड़े हैं। सबसे आश्चर्यजनक मुझे लगी क्बाल स्पिएन नदी, जिसके तल में पत्थरों पर हजारों शिवलिङ्ग तथा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां प्राचीन काल में उकेरी गयी थीं। एक बार ध्यान दें इन महामना मनीषियों के नामों की ओर, शायद इनका शुभ संस्मरण ही हमारे अन्दर उस सोई हुई वैदिक आत्मा को जागृत कर दे, जिसके कारण ये मनीषी सैकड़ों मीलों की यात्रा करके इस वैदिक ज्योति के महान् ज्योतिवाहक बने॥

UFO IN ANCIENT INDIA/BHARAT

Photo: #AIUFO Exclusive - MINDBOGGLING HINDU TECHNOLOGY #Vimanas #UFO  : PROOF ! ! ! Open your mind before u open your eyes . </p>
<p>The Rig Veda, the oldest document of the human race includes references to the following modes of transportation: Jalayan - a vehicle designed to operate in air and water (Rig Veda 6.58.3); Kaara- Kaara- Kaara- a vehicle that operates on ground and in water. (Rig Veda 9.14.1); Tritala- Tritala- Tritala- a vehicle consisting of three stories. (Rig Veda 3.14.1); Trichakra Ratha - Trichakra Ratha - Trichakra Ratha - a three-wheeled vehicle designed to operate in the air. (Rig Veda 4.36.1); Vaayu Ratha- Vaayu Ratha- Vaayu Ratha- a gas or wind-powered chariot. (Rig Veda 5.41.6); Vidyut Ratha- Vidyut Ratha- Vidyut Ratha- a vehicle that operates on power. (Rig Veda 3.14.1).</p>
<p>Sage Agastya is mentioned in Mahabharata of 4000 BC. The "Agastya Samhita" gives us Agastya`s descriptions of two types of aeroplanes. The first is a "chchatra" (umbrella or balloon) to be filled with hydrogen. The process of extracting hydrogen from water is described in elaborate detail and the use of electricity in achieving this is clearly stated. This was stated to be a primitive type of plane, useful only for escaping from a fort when the enemy had set fire to the jungle all around. Hence the name "Agniyana". The second type of aircraft mentioned is somewhat on the lines of the parachute. It could be opened and shut by operating chords. This aircraft has been described as "vimanadvigunam" i.e. of a lower order than the regular aeroplane. </p>
<p>Maharishi Bharadwaja is one of the Sapt Rishis and the guru of Dronacharya of Mahabharata , who lived in 4200 BC.  Bharadwaja states that there are thirty-two secrets of the science of aeronautics. Of these some are astonishing and some indicate an advance even beyond our own times. For instance the secret of "para shabda graaha", i.e. a cabin for listening to conversation in another plane, has been explained by elaborately describing an electrically worked sound-receiver .  Later in modern times, this was re-discovered by Nikola Tesla.</p>
<p>In "shatru vimana kampana kriya" and "shatru vimana nashana kriya" gves details on resonating and destroying enemy aircraft,  as well as photographing enemy planes, rendering their occupants unconscious and making one`s own plane invisible. In Vastraadhikarana, the chapter describing the dress and other wear required while flying, talks in detail about the wear for both the pilot and the passenger separately.</p>
<p>In Srimad Bhagavatam it is described that a great mystic named Kardama Muni created an entire floating city in which he and his wife toured around the world. Another Rishi Maya Danava built an entire flying city for Salva. Among other wonderful qualities it possessed the following:<br />
A special navigation system for seeing at night, high speed capability to avoid detection from the ground, and the ability to become either completely invisible or to appear as if there were many copies of it flying in the sky.</p>
<p>The astras or ancient scalar interferometry missiles were far superior in the respect that it can be directed to search and destroy one person, in contrast to the modern nuclear weapons which kill thousands of innocent people indiscriminately. The Brahmastra is created and directed by longitudinal wave , sound vibration. Only highly evolved seers are given the Mantras  to trigger a Brahmastra, as it involves resonating the 12 strand DNA with a king sized pineal gland.</p>
<p>Vedic Vimanas or flying saucers used mercury vortex ion engines. The ion engine was first demonstrated by German-born NASA scientist Ernst Stuhlinger.  The Vedic texts were taken to Germany by Hermann Gundert.</p>
<p>The use of ion propulsion systems were first demonstrated in space by the NASA Lewis “ Space Electric Rocket Test SERT.. These thrusters used mercury as the reaction mass. The first was SERT 1, launched July 20, 1964, successfully proved that the technology operated as predicted in space. The second test, SERT-II, launched on February 3, 1970, verified the operation of two mercury ion engines for thousands of running hours.

The Rig Veda, the oldest document of the human race includes references to the following modes of transportation: Jalayan – a vehicle designed to operate in air and water (Rig Veda 6.58.3); Kaara- Kaara- Kaara- a vehicle that operates on ground and in water. (Rig Veda 9.14.1); Tritala- Tritala- Tritala- a vehicle consisting of three stories. (Rig Veda 3.14.1); Trichakra Ratha – Trichakra Ratha – Trichakra Ratha – a three-wheeled vehicle designed to operate in the air. (Rig Veda 4.36.1); Vaayu Ratha- Vaayu Ratha- Vaayu Ratha- a gas or wind-powered chariot. (Rig Veda 5.41.6); Vidyut Ratha- Vidyut Ratha- Vidyut Ratha- a vehicle that operates on power. (Rig Veda 3.14.1).

Sage Agastya is mentioned in Mahabharata of 4000 BC. The “Agastya Samhita” gives us Agastya`s descriptions of two types of aeroplanes. The first is a “chchatra” (umbrella or balloon) to be filled with hydrogen. The process of extracting hydrogen from water is described in elaborate detail and the use of electricity in achieving this is clearly stated. This was stated to be a primitive type of plane, useful only for escaping from a fort when the enemy had set fire to the jungle all around. Hence the name “Agniyana”. The second type of aircraft mentioned is somewhat on the lines of the parachute. It could be opened and shut by operating chords. This aircraft has been described as “vimanadvigunam” i.e. of a lower order than the regular aeroplane.

Maharishi Bharadwaja is one of the Sapt Rishis and the guru of Dronacharya of Mahabharata , who lived in 4200 BC. Bharadwaja states that there are thirty-two secrets of the science of aeronautics. Of these some are astonishing and some indicate an advance even beyond our own times. For instance the secret of “para shabda graaha”, i.e. a cabin for listening to conversation in another plane, has been explained by elaborately describing an electrically worked sound-receiver . Later in modern times, this was re-discovered by Nikola Tesla.

In “shatru vimana kampana kriya” and “shatru vimana nashana kriya” gves details on resonating and destroying enemy aircraft, as well as photographing enemy planes, rendering their occupants unconscious and making one`s own plane invisible. In Vastraadhikarana, the chapter describing the dress and other wear required while flying, talks in detail about the wear for both the pilot and the passenger separately.

In Srimad Bhagavatam it is described that a great mystic named Kardama Muni created an entire floating city in which he and his wife toured around the world. Another Rishi Maya Danava built an entire flying city for Salva. Among other wonderful qualities it possessed the following:
A special navigation system for seeing at night, high speed capability to avoid detection from the ground, and the ability to become either completely invisible or to appear as if there were many copies of it flying in the sky.

The astras or ancient scalar interferometry missiles were far superior in the respect that it can be directed to search and destroy one person, in contrast to the modern nuclear weapons which kill thousands of innocent people indiscriminately. The Brahmastra is created and directed by longitudinal wave , sound vibration. Only highly evolved seers are given the Mantras to trigger a Brahmastra, as it involves resonating the 12 strand DNA with a king sized pineal gland.

Vedic Vimanas or flying saucers used mercury vortex ion engines. The ion engine was first demonstrated by German-born NASA scientist Ernst Stuhlinger. The Vedic texts were taken to Germany by Hermann Gundert.

The use of ion propulsion systems were first demonstrated in space by the NASA Lewis “ Space Electric Rocket Test SERT.. These thrusters used mercury as the reaction mass. The first was SERT 1, launched July 20, 1964, successfully proved that the technology operated as predicted in space. The second test, SERT-II, launched on February 3, 1970, verified the operation of two mercury ion engines for thousands of running hours